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राजद के हुए अमर पासवान, तेजस्वी ने थमाया टिकट, बोचहां विधानसभा उपचुनाव के ठीक पहले मुकेश सहनी को दोहरा झटका

राजद के हुए अमर पासवान, तेजस्वी ने थमाया टिकट, बोचहां विधानसभा उपचुनाव के ठीक पहले मुकेश सहनी को दोहरा झटका

पटना. बोचहां विधानसभा उपचुनाव के पहले मुकेश सहनी को एक के बाद एक कई झटके लग रहे हैं. मुकेश सहनी ने जिस अमर पासवान को बोचहां से टिकट देने की बात की थी उन्होंने अंतिम मौके पर वीआईपी छोड़कर राजद का दामन थाम लिया है. सोमवार को राजद नेताओं से मिलने के बाद अमर पासवान ने कहा कि एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकती हैं. एनडीए में भाजपा और वीआईपी की आपसी लड़ाई में उनका टिकट कट गया. इसलिए उन्होंने अब राजद की ओर से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है. वे अपने पिता दिवंगत मुसाफिर पासवान के सपने को साकार करेंगे. उन्होंने कहा कि राजद की बोचहां में जीत निश्चित है. जल्द ही वे नामांकन दाखिल करेंगे और प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को करारी मात देंगे. 

दरअसल सोमवार दोपहर ही ऐसी खबर आई कि अमर पसवान राजद में जा रहे हैं. बोचहां में प्रतिष्ठा की लड़ाई के लिए उतरे वीआईपी के मुकेश सहनी के घर में राजद ने बड़ी सेंधमारी की है. मुकेश सहनी ने बोचहां से दिवंगत विधायक मुसाफिर पासवान के बेटे अमर पासवान को वीआईपी उम्मीदवार बनाने की घोषणा की थी. लेकिन अमर पासवान ने वीआईपी का दामन छोड़ दिया है और वे अब राजद के टिकट में बोचहां में विधानसभा उपचुनाव में किस्मत आजमाएंगे. अमर पासवान और राजद से जुड़े नजदीकियों का कहना है कि राजद ने अमर पासवान को टिकट की पेशकश की है. इसके साथ ही अमर पासवान अब मुकेश सहनी बड़ा झटका दिया.  चुनाव को लेकर अमर पासवान की राजद नेता  तेजस्वी यादव से इस संबंध में बात हो चुकी है. अब राजद की ओर से बस नामांकन तिथि की घोषणा करना शेष है. 

बोचहां सीट पर 2020 के विधानसभा चुनाव में मुकेश सहनी के दल वीआईपी से मुसाफिर पासवान ने जीत हासिल की थी. नवम्बर 2021 में मुसाफिर के निधन हो जाने से अब यहाँ उपचुनाव हो रहा है. जहाँ 2020 के चुनाव में मुकेश सहनी की पार्टी ने एनडीए में रहकर चुनाव लड़ा था. लेकिन अब वीआईपी और भाजपा के बीच बढ़ी तल्खी के कारण बोचहां में भाजपा ने बेबी देवी को उम्मीदवार बनाया है. वहीं मुकेश सहनी ने सहानुभूति वोटों को पाने की जुगत में अमर पासवान पर दावेदारी ठोंकी लेकिन अंतिम मौके पर अमर पासवान के अब वीआईपी छोड़कर राजद में जाने की बात सामने आई है. 

इतना ही नहीं अमर पासवान ने फेसबुक पर अपना नाम भी बदल लिया है. वे होली के पहले 18 मार्च तक अमर पासवान @AmarpaswanVip नाम से अपना आधिकारिक पेज चलाते थे. लेकिन अब @AmarPaswanBochahan नाम से उनका फेसबुक का आधिकारिक पेज बदल गया है. इसे भी एक संकेत माना जा रहा कि अमर पासवान अब मुकेश सहनी के नाव की सवारी नहीं करना चाहते. वहीं राजद की ओर रमई राम अपनी बेटी गीता देवी के लिए टिकट की जुगाड़ में लगे हैं. वे गीता के टिकट को लेकर राजद के कई नेताओं से मिल चुके हैं लेकिन उन्हें पार्टी ने अब तक टिकट की गारंटी नहीं दी है. दरअसल रमई राम ने कई बार बोचहां विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया है. हालांकि 2020 के चुनाव में रमई राम को यहां से सफलता नहीं मिली थी. अब बेटी को विधानसभा भेजने की तैयारी कर रहे रमई राम को अगर राजद ने अमर पासवान को टिकट दिया तो बड़ा झटका लगेगा. 


बोचहां में 12 अप्रैल को चुनाव होना है. यहाँ भाजपा की बेबी देवी का मुकाबला अब राजद और वीआईपी के किस उम्मीदवार से होता है यह बड़ा उधेड़बुन बन गया है. लेकिन सबसे बड़ी दुविधा में मुकेश सहनी फंसे हैं जो अमर पासवान अगर राजद में जाते हैं तो वीआईपी की नाव बीच मझधार में फंस जाएगी.  बोचहां विधानसभा में जातीय समीकरण बेहद अहम है. इस सीट पर मुस्लिम, यादव और भूमिहार मतदाता निर्णायक संख्या में हैं. इसके बाद पासवान, रविदास और कोइरी जातियां आती हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में 2.73 लाख वोटर थे जिसमें  1.44 लाख पुरुष मतदाता और 1.28 लाख महिला मतदाता रहे. वहीं 2022 में हो रहे बोचहां विधानसभा उपचुनाव में मतदाताओं की संख्या में मामूली बढ़ोतरी हुई है. 

बोचहां विधानसभा सीट कई सालों तक रमई राम के नाम से जानी-पहचानी गई. रमई राम साल 1980 से ही बोचहां विधानसभा सीट से विधायक थे. रमई का अभेद्य माना जाने वाला किला निर्दलीय उम्मीदवार बेबी ने ध्वस्त कर दिया. वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में बेबी ने बड़ा उलटफेर किया था. बेबी कुमारी को 67 हजार से अधिक वोट मिले थे. जबकि, आठ बार के विधायक रमई 44 हजार वोट के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच सके थे. जबकि तीसरे नंबर पर रहे थे शिवसेना के लाल बाबू पासवान जिन्हें 11 हजार 877 से अधिक वोट मिले थे. इससे पहले साल 2010 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे रमई राम ने JDU के मुसाफिर पासवान को 54 हजार से अधिक वोट के बड़े अंतर से हराया था. 

रमई राम को 1980 से लगातार मिली जीत के पीछे जातीय समीकरण का बड़ा महत्व रहा. भूमिहार, यादव, मुस्लिम, पासवान, रविदास और कोइरी जातियों के वोटर अलग अलग समय में रमई राम के साथ रहे. रमई राम के अलग अलग दलों से चुनाव लड़ने के कारण उनके समर्थन में अलग अलग जातियां रहीं. वहीं 2015 में बेबी देवी के पक्ष में यादव-मुस्लिम को छोड़कर शेष जातियों के मतदाताओं के आने की बात कही गई. इसी तरह 2020 के चुनाव में भी एनडीए से वीआईपी उम्मीदवार रहे मुसाफिर पासवान को फिर से यादव-मुस्लिम के अलावा शेष दलों का साथ मिला और वे चुनाव जीतने में सफल रहे. 2020 के चुनाव परिणाम में वीआईपी के मुसाफिर पासवान को 77,837 वोट मिले और उन्होंने जीत हासिल की. वहीं आरजेडी के रमई राम 66,569 ही ला सके थे. 


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