बक्सर. बिहार के बक्सर में चल रहे संत समागम में आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने 'रामचंद्रायण' महाकाव्य का लोकार्पण किया. बिहार के सिवान के रिटायर्ड प्रोफेसर 80 वर्षीय डॉ रामचंद्र सिंह ने देश का पहला हिंदी में संपूर्ण राम कथा महाकाव्य की रचना रामचंद्रायण के नाम से की है. आठ सौ पन्नों के इस महाकाव्य की रचना करने में 10 वर्ष की अथक साधना लगी है. कोरोना काल के लॉकडाउन में इस महाकाव्य को अंतिम रूप दिया गया. स्वत्व प्रकाशन ने इस महाकाव्य को पब्लिश किया है.
सिवान जिले के सरसर गांव के निवासी प्रोफेसर रामचंद्र सिंह जो अपने नाम के साथ अपने गांव का नाम भी सरनेम की तरह इस्तेमाल करते हैं और इसी नाम से यानी कि रामचंद्र सिंह 'सूरसरिया' नाम से इस महाकाव्य की रचना की है. प्रोफेसर रामचंद्र सिंह सिवान जिले के प्रतिष्ठित डीएवी कॉलेज में वर्षों तक रसायन शास्त्र के प्रोफ़ेसर रहे हैं और साहित्य और अध्यात्म में इनकी गहरी रुचि रही है.
इनका नाम तो रामचंद्र है ही, प्रोफेसर साहब अपने गांव सरसर के सैकड़ों वर्ष से चली आ रही परंपरागत रामलीला में भगवान राम की भूमिका भी निभाते रहे हैं. राम नाम की महिमा ही है, कि देश का पहला हिंदी संपूर्ण राम कथा महाकाव्य आर 'रामचंद्रायण' की रचना, रामचंद्र सिंह कर पाए.