BETIA : प्रतिभा किसी भी उम्र या जगह की मोहताज नहीं होती है।कुछ इसी तरह की प्रतिभा के धनी हैं बेतिया के साहिल।साहिल किसी बडे कैनवास पर नहीं बल्कि सरसो और मसूर के दानों सहित चावल के दानों पर ऐतिहासिक महत्व की तस्वीरों को उकेरने में माहिर हैं।इसलिए लोग इन्हें नैनो आर्टिस्ट के नाम से जानते हैं।
बेतिया के चनपटिया के रहने वाले साहिल अपनी एक अलग तरह की प्रतिभा के लिए जाने जाते हैं। साहिल की प्रतिभा कोई साधारण सी प्रतिभा नहीं हैं बल्कि इन्हें बारीक चीजों पर ऐतिहासिक महत्व की चीजों को उकेरने में महारत हासिल है। साहिल सरसों के दाने पर अंग्रेजी के छब्बीस अक्षरों को लिखते हैं। एक मसूर के दाने पर पांच ऐतिहासिक चीजें मसलन इंडिया गेट,कुतुब मीनार,संसद भवन और गोलघर से लेकर राष्ट्रीय ध्वज तक को उकेर देते हैं। यहीं नहीं साहिल पीपल के पते पर उसके रेशे पर महात्मा बुद्ध की तस्वीर बनाते हैं। चावल के दाने पर ब्रश की एक नोक से ईसा मसीह की तस्वीर बनाते हैं। साहिल चाकू से कई सारी पेंटिंग्स भी बनाते हैं।
हुनर के 25 साल, लेकिन नहीं मिली पहचान
इन बारीक चीजों पर अपनी हुनर को आकार देने का काम पिछले बीस-पच्चीस सालों से करते आ रहे हैं।बचपन से हीं साहिल को इस तरह की कलाकारी करने का शौक था। लेकिन साहिल को मलाल इस बात का है कि उनकी इस कलाकारी में सरकार का कोई सहयोग नहीं मिला और न हीं उनकी इस हुनर को कोई पहचान दिलाया जा सका।