बिहार में कई केंद्र प्रयोजित योजनाओं की राशि केंद्र के पास पड़ी हुई है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने अपने हिस्से की सारी राशि केंद्र सरकार से मांगने की तैयारी शुरू कर दी है। जल्द ही केंद्र सरकार को अपने बकाए का पूरा हिसाब भेजा जाएगा। योजना एवं विकास विभाग बकाए का लेखा-जोखा तैयार कर रहा है।
पिछले दिनों मुख्य सचिव के स्तर पर हुई उच्चस्तरीय बैठक में यह मामला सामने आया था, जिसमें केंद्र सरकार के पास बड़ी मात्रा में राशि के बकाया होने की बात कही गई थी। इसके अलावा, केंद्रीय योजनाओं की राशि लौटने और विभागीय खर्च में समस्या का भी मुद्दा उठा। अब मुख्य सचिव ने सभी विभागों को केंद्रीय राशि का पूरा विवरण तैयार करने का निर्देश दिया है।
समीक्षा के दौरान यह खुलासा हुआ है कि शिक्षा और ग्रामीण विकास विभाग की सबसे अधिक राशि केंद्र के पास बकाया है। सर्वशिक्षा अभियान के तहत केंद्र से मिलने वाली बड़ी राशि अभी तक नहीं आई है। छात्रवृत्ति से संबंधित योजनाओं की राशि भी लंबित है। मध्याह्न भोजन योजना और मनरेगा की राशि भी केंद्र से नहीं मिली है। पीएम आवास योजना समेत कई अन्य योजनाओं की भी रकम केंद्र के पास अटकी पड़ी है, जिसके चलते राज्य सरकार को अपने संसाधनों से खर्च करना पड़ रहा है, जिससे खजाने पर अनावश्यक बोझ बढ़ रहा है।
बिहार को केंद्र से विभिन्न योजनाओं के तहत लगभग 25 हजार करोड़ की राशि मिलती है, लेकिन इनमें से कई योजनाओं में राशि का उपयोग नहीं हो पा रहा है। एक समीक्षा के दौरान यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि कई योजनाओं में तो आधी राशि वापस लौट गई। माना जा रहा है कि 35-40 फीसदी राशि का सही उपयोग नहीं हो पाया है। अब राज्य सरकार इस स्थिति को सुधारने और बकाया राशि को वसूलने के लिए कदम उठाने जा रही है