Desk. अंतिम समय में नीट-एसएस का पैटर्न बदलने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि "सत्ता के खेल में सरकार डॉक्टरों को फुटबॉल न समझे।" वहीं अदालत ने सुपर स्पेशलिटी कोर्सों के लिए होने वाली राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा का पैटर्न अंतिम समय पर बदलने के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए सरकार को एक हफ्ते का समय दिया है।
नीट-एसएस का आयोजन 13 और 14 नवंबर 2021 को होना है। इस परीक्षा का नोटिफिकेशन 23 जुलाई को जारी किया गया था, लेकिन एक महीने बाद 31 अगस्त को राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड परीक्षा पैटर्न में बदलाव का ऐलान करते हुए एक बुकलेट जारी की थी। सरकार की ओर से परीक्षा पैटर्न बदलने के फैसले से परीक्षा की तैयारी में लगे डॉक्टरों के सामने नई मुश्किल खड़ी हो गई है। क्योंकि डॉक्टर नीट-एसएस परीक्षा की तैयारी 2018 के निर्धारित पैर्टन के आधार पर कर रहे थे।
राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के इस फैसले को 41 डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर मामले पर जवाब मांगा था। सरकार के फैसले से नाराज न्यायाधीश धनन्जय चंद्रचूड़ और बीवी नागत्न की पीठ ने कहा, "आप इस तरीके से युवा डॉक्टरों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं कर सकते। परीक्षा का जब नोटिफिकेशन जारी हो चुका था, तो अब ऐसी क्या आपात स्थिति बन गई कि परीक्षा पैटर्न में बदलाव किया जा रहा है। सिर्फ इसलिए कि आपके पास पॉवर है। आपको लगता है कि आप इसे किसी भी तरह से तोड़-मरोड़ सकते हैं। सत्ता के इस खेल में डॉक्टरों को फुटबॉल मत समझिए।"
स्वास्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से मामले में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASC) ऐश्वर्या भाटी प्रतिनिधित्व कर रही थीं। वहीं एनबीई की ओर से सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह और नेशनल मेडिकल कमिशन की ओर से एडवोकेट गौरव शर्मा उपस्थित थे। न्यायपीठ ने तीनों वकीलों से कहा कि परीक्षा पैटर्न बदनले के फैसले को इस साल टालने पर विचार करें क्योंकि इन डॉक्टरों ने तैयारी के लिए सालों की मेहनत लगाई है और अब परीक्षा के लिए सिर्फ दो महीने का वक्त शेष है।