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बिहार के स्वार्थी राजनेता! पार्टी को बनाया अपने बेटे-बेटियों के सियासी लॉन्चिंग पैड,परिवारवाद आबाद,आम जनता ठेंगे पर

बिहार के स्वार्थी राजनेता! पार्टी को बनाया अपने बेटे-बेटियों के सियासी लॉन्चिंग पैड,परिवारवाद आबाद,आम जनता ठेंगे पर

पटना: बिहार में लोकसभा चुनावों को लेकर सभी दल ताल ठोक रहे हैं.वहीं कई सियासी घरानों के सदस्य भी इस रण में ताल ठोक रहे हैं. जिन जगहों पर राजनीतिक घरानों के सदस्य मैदान में हैं, वहां चुनाव काफी रोचक हो गया है. बीजेपी हमेशा राजनीति में परिवारवाद का विरोध करती रही है. पीएम मोदी मंच से कई बार विरोधी दलों पर आक्रामक हुए हैं. कांग्रेस भी पार्टी में परिवारवाद होने से मना करती रही है। हालांकि, टिकट बांटने में लगभग हर बार परिवारवाद की छाया साफ नजर आती है. इस मामले में कोई किसी से पीछे नहीं है. बिहार में बाप  किसी दल में तो पुत्र किसी और पार्टी में. एक भाई एनडीए  के साथ तो दूसरा भाई इंडी गठबंधन के साथ.

लालू परिवार का एक और सदस्य अब राजनीति के सियासी दांव-पेंच चलते हुए दिख रही हैं. पटना के गांधी मैदान में आयोजित हुई जन विश्वास रैली में राजद सुप्रीमो लालू यादव के साथ उनकी पत्नी राबड़ी देवी, दोनों बेटे (तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव) और बेटी मीसा भारती के अलावा रोहिणी आचार्य भी नजर आईं. मंच से लालू ने रोहिणी का हाथ पकड़कर आगे लाए. कहा जा रहा है कि राजद सुप्रीमो ने जनता के सामने अपनी बेटी को लॉन्च किया है. आगामी लोकसभा चुनाव में रोहिणी बिहार की किसी सीट से चुनाव भी लड़ सकती हैं. बता दें कि लालू परिवार में लालू यादव के अलावा उनकी पत्नी, दोनों बेटे और बेटी मीसा भारती पहले से राजनीति में हैं. अब रोहिणी की भी लॉन्चिंग भी हो गई है.  

दो मंत्रियों की संतान आमने सामने

समस्तीपुर से  नीतीश मंत्रिमंडल के दो  मंत्रियों के पुत्र और पुत्री  एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं. 

एक भाई मंत्री तो दूसरा विरोदी दल राजद में

मंत्री सुमित सिंह के दादा श्रीकृष्ण सिंह दो बार विधायक रहे हैं तो पिता नरेंद्र सिंह के नाम से बिहार में कोई शायद हीं अपरिचित हो. सुमित सिंह को राजनीति उन्हें विरासत में मिली है. सुमित सिंह के भाई अजय प्रताप राजद में शामिल हो गए हैं. एक भाई नीतीश मंत्रिमंडल में मंत्री तो दूसरा विरोधी दल राजद में . अजय जेडीयू के टिकट पर एमएलए रह चुके हैं. वे भाजपा और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी से भी चुनाव लड़ चुके हैं.

चिराग के जीजा एनडीए में तो उनकी मां कांग्रेसी

जमुई से चिराग ने अपने जीजा को उम्मीदवार बनाया है. चिराग पासवान ने जमुई सीट से सांसद है. जमुई  सीट चिराग अपने किसी अति भरोसेमंद को ही देना चाहते थे. अरुण भारती  चिराग के बहनोई लगते हैं. वैसे  अरुण भारती का परिवार कांग्रेसी रहा है. चिराग के जीजी की मां  डॉ. ज्योति दो बार विधायक रह चुकी हैं,  वे विधान परिषद की सदस्य भी रही हैं. मां कांग्रेस में हैं तो बेटा एनडीए में . 

बहरहाल राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजनीतिक दल परिवारवाद को महत्व न देने की बात करते हैं, राजनीति के लिए सबसे नुकसानदायक बताने में भी नहीं चूकते, लेकिन हकीकत है  जब चुनाव आते हैं तो हर दल अपने-अपने तरह से परिवारवाद को परिभाषित करने लगता है. कोई घोषित उम्मीदवार की योग्यताएं बताने लगता है तो कोई चुनाव जीतने को महत्वपूर्ण बताता है. 


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