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नीतीश सरकार पर गंभीर आरोप, महागठबंधन सरकार बनते ही होने लगी नियम विरुद्ध कार्रवाई, भाजपा का विधानमंडल में हंगामा

नीतीश सरकार पर गंभीर आरोप, महागठबंधन सरकार बनते ही होने लगी नियम विरुद्ध कार्रवाई, भाजपा का विधानमंडल में हंगामा

पटना. नीतीश सरकार पर विधानसभा की कार्यवाही के लिए तय किए गए एजेंडा को बदलने और दो प्रतिवेदन को दबाने का आरोप लगाकर भाजपा विधायकों ने शुक्रवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने के पहले जोरदार नारेबाजी की. पूर्ववर्ती एनडीए सरकार के दौर में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के नेतृत्व वाली टीम ने विशेष समिति एवं आचार समिति का प्रतिवेदन तैयार किया था. हालांकि भाजपा ने नीतीश सरकार पर आरोप लगाया है कि सभा पटल पर दोनों प्रतिवेदन को पेश नहीं किया गया है. महागठबंधन सरकार संविधान और विधायिका का गला घोटने पर उतारू हो गई. इसी को लेकर भाजपा विधायकों ने विधानसभा के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया. 

भाजपा के सभी विधायकों ने गले में भगवा पट्टा और हाथों में प्लेकार्ड लेकर प्रदर्शन किया. प्लेकार्ड पर 'विशेष समिति एवं आचार समिति का प्रतिवेदन सभा पटल पर उपस्थापित करो' के नारे लिखकर नीतीश सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की गई. शुक्रवार को विधानसभा के नए अध्यक्ष का चुनाव होगा. राजद के अवध बिहारी चौधरी का अध्यक्ष बनना तय है लेकिन उसके पहले भाजपा सदस्यों ने विधानसभा में जबरदस्त प्रदर्शन शुरू कर दिया. भाजपा ने कहा है कि आचार समिति की रिपोर्ट आ गई है, जिसे सदन के पटल पर रखने की आवश्यकता है. हम रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग करते है .

इसके पहले गुरुवार को नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने भी नीतीश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने गत वर्ष बजट सत्र में विधानसभा में हुए भारी हंगामे और तत्कालीन विपक्ष के विधायकों द्वारा आसन के साथ किए गए दुर्व्यवहार मामले में आचार समिति की अनुशंसा को दबाने पर नीतीश सरकार पर सवाल खड़ा किया.

विजय सिन्हा ने कहा कि 24 अगस्त, 2022 को सत्रहवें विधानसभा के छठे सत्र में निर्धारित कार्यसूची में बदलाव निर्धारित नियम एवं प्रविधान के विरुद्ध अलोकतांत्रिक तरीके से किया गया, जो खेदजनक है. मेरे द्वारा सदन संचालन हेतु कार्य सूची निर्धारित की गई थी, जिसमें अध्यक्ष के प्रारंभिक संबोधन के पश्चात विधानसभा की समितियों के प्रतिवेदन को सभा के समक्ष रखा जाना था, परंतु सभा सचिवालय द्वारा रात में इस क्रम को बिना किसी आदेश के बदलकर नियमों को गलत तरीके से स्व व्याख्या करते हुए गैर सरकारी कार्य को भी सरकारी बताकर कार्य सूची में फेरबदल कर दिया गया. यह सदन के स्थापित परंपरा के साथ-साथ नियम विरुद्ध कार्रवाई थी एवं आसन का अपमान भी था.


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