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बिहार सरकार पर गुस्साई शारदा सिन्हा, क्या यही है आपका नियम, शर्मसार ही महसूस करती हूं इस तरह की व्यवस्था में

बिहार सरकार पर गुस्साई शारदा सिन्हा,  क्या यही है आपका नियम, शर्मसार ही महसूस करती हूं इस तरह की व्यवस्था में

पटना. पद्मश्री शारदा सिन्हा का बिहार सरकार की व्यवस्थाओं और यहाँ के विश्वविद्यालयों को लेकर दर्द झलका है. पेंशन न मिलने के कारण जीवन के अंतिम क्षणों तक परेशानी झेलती रही उनकी एक संगिनी के निधन के बाद शारदा सिन्हा ने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की कलई खोल दी है. सिन्हा की पेंशन भी पिछले कई महीनों से नहीं दी गई है. 

शारदा सिन्हा ने सीधे सीधे बिहार सरकार से सवाल किया है कि आखिर उन जैसे लोगों की पेंशन क्यों नहीं समय पर जारी की जाती है. उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखकर लचर व्यवस्था को कोसने के साथ ही अपनी दिवंगत संगिनी और पेंशनभोगियों की पीड़ा व्यक्त की है. 

उन्होंने फेसबुक पर लिखा, ये अंधेर कब तक ?????

Dr. Isha Sinha , मेरी संगिनी ही नहीं बल्कि जीवन का एक अभिन्न अंग बनकर मेरे साथ मेरे कार्य काल में रहीं । LNMU , दरभंगा में पीजी हेड से रिटायर की थीं । जबसे मैंने कॉलेज का शिक्षण कार्य शुरु किया था तब से मेरे साथ सखी सहेली और न जाने कितने रूप में मेरा साथ देती रहीं।

 आज वो हमें अकेला छोड़ गईं । 2 साल अपने शारीरिक कष्ट , व्याधि और मानसिक पीड़ा से लड़ती रहीं , अंतिम समय में उनके दिमाग पर अपने परिवार को अकेला छोड़ जाने की पीड़ा का एक बहुत बड़ा कारण था कि उनकी पेंशन की राशि पिछले 4-5 महीनो से नही मिली थी , उनके पतिदेव श्री सच्चिदानंद जी ने कई पत्र लिखे सरकार के नाम , सरकार को उनकी पत्नी के  हालत भी बताया पर सरकार के कान पर जूं तक न रेंगी । 

पटना से समस्तीपुर और समस्तीपुर से पटना  इलाज के दौरान दौड़ते रहे, पैसों के इंतजाम में !!!!!!श्री सच्चिदानंद जी!

ताकि उनकी जीवन संगिनी कुछ पल और उनके साथ जीवित रह सकें।

मेरी सखी ईशा जी तो चली गईं , और न जाने  कितने बाकी हैं इस परेशानी  को झेलने के लिए बस अब यही पता नही !!!!

साथ ही यह बता दूं कि मैं भी पिछले 4 महीनो से बिना पेंशन ही हूं । (इसका फर्क हर सेवा निवृत को गहरा ही पड़ता है)

क्या यही न्याय है बिहार सरकार या विश्वविद्यालय नियमों का ???

क्या मैं इसी राज्य का प्रतिनिधित्व करती हूं ? शर्मसार ही महसूस करती हूं इस तरह की व्यवस्था में । 

शारदा सिन्हा की इस मार्मिक अपील का कई लोगों ने समर्थन किया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से राज्य की मूल समस्याओं पर ध्यान देने की लोगों ने अपील की है. ब्रजेश कुमार ने शारदा सिन्हा को इंगित करते हुए लिखा, 1600 करोड़ के सालाना बजट वाले विश्वविद्यालय का यह हाल है. पूरे बिहार के विश्वविद्यालयों को मिला दिया जाए तो 100 अरब का सालाना  बजट होगा. बिहार के इन विश्वविद्यालयों में बहाल कुलपति मुगल शासक की तरह कार्य कर रहे है. ABVP Bihar  सहित बिहार के तमाम छात्र संगठन सालो से विरोध कर रहे है, हालात जस की तस है, कुलाधपति कह रहे है कुलपति पर सरकार भ्रस्टाचार के मामले में पूछताछ न करे कोई करवाई न हो. 

उन्होंने कहा,  यह पीड़ा Sharda Sinha जी का नही है यह पीड़ा बिहार के 13 करोड़ की जनता का है. एक विधयाक का बजट 3 करोड़ सांसद का बजट 3 करोड़ और कुलपति का बजट हजार करोड़ सालाना और उसका कोई लेखाजोखा नही क्योंकि स्वायत्त संस्था है. आदरणीय मुख्यमंत्री Nitish Kumar  जी से आग्रह है कि इस मामले को लेकर महामहिम राष्ट्रपति से बात करके भर्स्ट विश्वविद्यालय के अधिकारीगण को अबिलम्ब गिरप्तार किया जाये.


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