बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

किस्मत हाथों से नहीं, मनोबल, मेहनत, हौसले और लगन से लिखी, दोनों हाथ नहीं थे लेकिन बन गई दूसरों के लिए मिसाल

किस्मत हाथों से नहीं, मनोबल, मेहनत, हौसले और लगन से लिखी, दोनों हाथ नहीं थे लेकिन बन गई दूसरों के लिए मिसाल

दिल्ली- मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता,हौसलों से उड़ान होती है।’ बिना हाथ के जन्मीं कुमारी शीतल देवी ने  हौसले के बल पर दिव्यांगता को ही अपनी ताकत बना लिया और एक के बाद एक लक्ष्यों को बेधती चली गईं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एकमात्र ‘आर्मलेस’ तीरंदाज शीतल आज वर्ल्ड नंबर-1 रैंक हासिल किया।  रियाद, सऊदी अरब में आयोजित समारोह में 16 साल की शीतल को एशिया की सर्वश्रेष्ठ युवा एथलीट अवॉर्ड-2023 से सम्मानित किया गया। पैर से तीर चलाने वालीं शीतल ने नयी दिल्ली में ‘खेलो इंडिया पैरा खेलों’ के कम्पाउंड वर्ग के ओपन वर्ग में स्वर्ण पदक अपने नाम किया।चीन के हांगझोऊ शहर में अक्तूबर 2023 में आयोजित पैरा एशियन गेम्स में शीतल ने दो गोल्ड और एक सिल्वर पर निशाना साधा। चीन से लौटने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शीतल से विशेष मुलाकात की।

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ के छोटे से गांव लोइधर की शीतल ‘फोकोमेलिया’ नामक बीमारी के साथ पैदा हुईं, जिसकी वजह से जन्म से ही उनके दोनों हाथनहीं हैं। एकबारगी परिवार के सदस्य तनाव में आ गए। लेकिन समय बीतता गया और वह परिवार की दुलारी बन गईं। पिता मान सिंह छोटे किसान थे, तो मां शक्ति देवी घर पर ही भेड़-बकरियां पालती थीं। धीरे-धीरे शीतल ने अपनी दिव्यांगता को ताकत बना लिया और रोजा के काम पैरों से करने लगीं। फिलहाल 11वीं में पढ़ रहीं शीतल का पढ़ना-लिखना भी पैरों से ही होता है।

शीतल ने सोनीपत प्रवास के दौरान दैनिक ट्रिब्यून से खास बातचीत में बताया कि एक बड़ा लक्ष्य लेकर 2022 में वह माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड, कटरा की तीरंदाजी अकादमी में कोच कुलदीप और उनकी पत्नी कोच अभिलाषा चौधरी से मिलीं। तीरंदाजी सीखने की इच्छा जताई तो पति-पत्नी उसे कोचिंग देने के लिए तैयार हो गये।

बकौल शीतल उनके कोच कुलदीप ने उनकी शारीरिक अवस्था को देखते हुए खुद लोहार की दुकान पर जाकर उसके लिए खास डिवाइस कस्टमाइज किया। इसके बाद वह पैरों, कंधों और मुंह के सहारे धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाकर लक्ष्य भेधने लगीं। वर्ष 2022 के अंत में सोनीपत स्थित साई सेंटर में राष्ट्रीय पैरा तीरंदाजी में शीतल ने पहला मेडल जीता। कंपाउंड कैटेगरी में खेलने वालीं शीतल ने मई 2023 में चेक रिपब्लिक में आयोजित वर्ल्ड रैंकिंग टूर्नामेंट में एक गोल्ड, एक सिल्वर और एक ब्रांज मेडल जीतकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शानदार शुरुआत की। जुलाई 2023 में चेक रिपब्लिक में ही सिल्वर मेडल जीतकर उन्होंने पैरालंपिक 2024 पेरिस के लिए क्वालीफाई किया।



Editor's Picks