पटना: हाईकोर्ट ने राज्य के विश्वविद्यालयों के शिक्षा विभाग द्वारा खातों को फ्रीज़ करने के आदेश पर रोक लगा दिया.शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच टकराव में पटना हाईकोर्ट से शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को बड़ा झटका लगा है. हाई कोर्ट ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, कुलसचिवों और अन्य कर्मियों के वेतन पर लगी रोक को भी हटा दिया.
वरीयती क्रम में वीसी ऊपर
वीसी के वकील ने कोर्ट को बताया कि विश्वविद्यालय कानून के तहत शिक्षा विभाग वीसी को बैठक में भाग लेने के लिए नहीं बुला सकती. उनका कहना था कि वरीयता क्रम में चांसलर सबसे ऊपर होते हैं. उसके बाद वीसी फिर प्रोवीसी होते हैं.उसके बाद विभाग के सचिव का नम्बर आता हैं.ऐसे में विभाग के सचिव और निदेशक बैठक में भाग लेने के लिए वीसी को नहीं बुला सकतें.उनका कहना था कि 2009 में चांसलर ने एक आदेश जारी कर विश्वविद्यालय के सभी अधिकारियों को निर्देश दे रखा है कि चांसलर के अनुमति से ही मुख्यालय छोड़ना हैं.उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि बैठक में वीसी के साथ बदसलूकी की जाती हैं. जिस कारण वीसी बैठक में जाने से मना कर दिये. यही नहीं,हाल के दिनों में दो दिवसीय एक बैठक एक होटल में आयोजित की गई थी.इस बैठक वीसी आये लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से कोई नहीं आया.
आरडीडीई का वीसी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करना विडंबनापूर्ण
विवि के वकील ने कोर्ट को बताया कि अब तो हाल यह हो गया है कि आरडीडीई वीसी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा रहे है.। शिक्षा विभाग एक माह में तीन तीन सत्र का परीक्षा लेने का दवाब बना रही हैं।.उनका कहना था कि वीसी के नियुक्ति में राज्य सरकार का कोई भूमिका नहीं है फिर भी बेवजह दवाब बनाने के लिए ऐसा किया जा रहा है. यही नहीं, विश्वविद्यालय के खाता के संचालन पर रोक लगाने का अधिकार नहीं है.इस पर हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालयों के बीच समन्वय बैठक को कहा है. पटना में शिक्षा विभाग बैठक का आयोजन करेगा लेकिन उसकी अध्यक्षता अपर मुख्य सचिव केके पाठक नहीं करेंगे. बैठक में अगर राज्य के मुख्य सचिव शामिल होते हैं तो वे बैठक की अध्यक्षता कर सकते हैं .मीटिंग की पूरी वीडियोग्राफी होगी.
कोई भी अधिकारी वीसी के साथ नहीं करेगा बदसलूकी
कोर्ट ने साफ कहा कि कोई भी अधिकारी किसी के साथ बदसलूकी नहीं करेंगे. लेकिन विश्वविद्यालयों के वीसी और अन्य अधिकारी भी पूरा सहयोग करेंगे.इस बात पर शिक्षा विभाग की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ पूरी बैठक होगी.जस्टिस अंजनी कुमार शरण ने एक एक कर विश्वविद्यालयों की ओर से दायर याचिकायों पर सुनवाई की.
शिक्षा विभाग नहीं बुलाएगा कुलपतियों की बैठक-हाई कोर्ट
पटना हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को बड़ा झटका दिया. बिहार के सभी विश्वविद्यालयों बैंक खातों पर लगी रोक को हटा लिया. केके पाठक की बुलाई बैठक में शामिल नहीं होने पर शिक्षा विभाग ने सभी विश्वविद्यालयों के बैंक खातों को फ्रीज कर दिया था. हाईकोर्ट ने बैंक खातों पर लगी रोक तत्काल हटा ली है. इतना ही नहीं, हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग में सभी कुलपतियों की बैठक बुलाने पर भी रोक लगा दी.
अपर मुख्य सचिव के के पाठक नहीं करेंगे अध्यक्षता- हाई कोर्ट
हाईकोर्ट ने कहा कि शिक्षा विभाग विश्वविद्यालय के साथ बैठक करेगा, लेकिन केके पाठक इसकी अध्यक्षता नहीं करेंगे. ये बैठक शिक्षा विभाग के बजाय किसी दूसरे स्थान पर होगी. साथ ही बैठक की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी. न तो केके पाठक और न ही शिक्षा विभाग, किसी कुलपति या विश्वविद्यालय के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई कर सकता है.
चांसलर के वकील के दलील को कोर्ट ने माना- बैठक की दी अनुमति
वही राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कहा कि जितना पैसा विश्वविद्यालयो को दी जा रही हैं, उस पैसा को छात्रों को दे दिया जाये, तो वे बेहतर शिक्षा ग्रहण कर लेंगे. उनका कहना था कि राज्य सरकार लगभग 5 हजार करोड़ रुपये देती हैं और शिक्षा का स्तर अन्य राज्यों के तुलना में काफी खराब है.उनका कहना था कि विभाग थोड़ी कड़ाई क्या की गई कि सभी विचलित हो गये. परीक्षा समय पर लेने के लिए बैठक बुलाई गई,तो वीसी भाग नहीं लिये.जबकि चांसलर की ओर से वरीय अधिवक्ता डॉ केएन सिंह और राजीव रंजन कुमार पांडेय ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश के छात्रों के उज्ज्वल भविष्य को देखते हुए सभी को आपसी मतभेद मिटा कर बैठक में भाग लेना चाहिए. उनके ही सुझाव के बाद कोर्ट ने बैठक में भाग लेने की बात कही.जिस पर सभी पक्ष अपनी सहमति जताईऔर कोर्ट ने सरकार के खर्चा पर बैठक की तारीख,समय और स्थान तय किया.
शिक्षा विभाग के फैसले को सभी विश्वविद्यालयों ने कोर्ट में दी थी चुनौती
बिहार के शिक्षा विभाग ने सभी विश्वविद्यालयों के बैंक खातों को फ्रीज कर दिया था. इसके चलते शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन और पेंशन रुक गया था. विश्वविद्यालय के छोटे-मोटे खर्चों के लिए भी फंड नहीं मिल पा रहा था. सभी विश्वविद्यालयों ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इस मामले की सुनवाई जस्टिस अंजनी कुमार शरण की अदालत में हुई.
शिक्षा विभाग उठाएगा बैठक का खर्च
पटना हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि 6 मई को शिक्षा विभाग पटना के होटल मौर्या में विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ बैठक करेगा. इसमें होने वाले सभी खर्च शिक्षा विभाग उठाएगा. इस मामले पर अगली सुनवाई 17 मई को होगी. बता दें शिक्षा विभाग की तरफ से वेतन और खातों पर रोक लगाए जाने के बाद विश्वविद्यालयों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.