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प्रवासी बिहारियों को लेकर चौंकाने वाले आकड़ें, पलायन और प्रवास के चक्र में जातीय सर्वे की रिपोर्ट

प्रवासी बिहारियों को लेकर चौंकाने वाले आकड़ें, पलायन और प्रवास के चक्र में जातीय सर्वे की रिपोर्ट

पटना- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर राज्य में हुए जातीय सर्वे की रिपोर्ट में किया अहम खुलासे हुए हैं. इसमें प्रवासी बिहारियों को लेकर चौंकाने वाले आकड़ें सामने आए हैं.   जाति एवं आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट  के अनुसार राज्य के लगभग 1.22 फीसदी लोग ही बाहर रहते हैं.  नीतीश सरकार के तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक 94.28 फीसदी लोग बिहार में रह रहे हैं. इन्हें बाहर जाने की जरूरत नहीं है.  प्रवासी बिहारियों को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं.  इस आकड़ें के अनुसार बिहार में महज 1.22 फीसदी लोग ही बाहर रहते हैं.

बता दें जनगणना (2011) में दिल्ली में बिहारी प्रवासियों की संख्या 2,172,760 बताई गई थी.महानगरों और विकसित राज्यों में प्रवासी कामगरों, ख़ासकर प्रवासी मज़ूदरों को लेकर अक्सर राजनीति होती रहती है.लॉकडाउन के दौरान मज़दूरों को घर पहुँचाने को लेकर दिल्ली में केजरीवाल और बिहार में नीतीश सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप लगे थे. दिल्ली की सीमाएँ बंद करते समय भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यह तर्क दिया था कि अगर यूपी-बिहार के लोग इलाज के दिल्ली आ जाएंगे तो यहाँ के बेड भर जाएंगे. लॉकडाउन में पैदल, साइकिल और ठेले पर हज़ारों किलोमीटर का सफ़र तय कर अपने गृहराज्य पहुँचते मज़दूरों को देखकर भी बार-बार यही बात सामने आई कि जो मज़दूर शहरों को चलाते हैं, मुसीबत में उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है. 

याद दिला दें कांग्रेस नेता और दिल्ली की भूतपूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने साल 2007 में कहा था कि दिल्ली में सुविधाओं में लगातार इज़ाफ़ा किया जाता है लेकिन हर साल यूपी-बिहार के लाखों लोग आ जाते हैं और उन्हें रोकने के लिए कोई क़ानून नहीं है. बहरहाल प्रवासी बिहारियों को लेकर जो आंकड़े जारी किए गए हैं उसके अनुसार 94.28 फीसदी लोग बिहार में रह रहे हैं. 



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