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साहब....ऐसे ही रूकेगा भ्रष्टाचार? भ्रष्ट MVI की फिर से हो गई 'नौकरी', परिवहन विभाग ने EOU पर फोड़ा ठीकरा, न विभागीय कार्यवाही और न 'चार्जशीट'

साहब....ऐसे ही रूकेगा भ्रष्टाचार? भ्रष्ट MVI की फिर से हो गई 'नौकरी', परिवहन विभाग ने EOU पर फोड़ा ठीकरा, न विभागीय कार्यवाही और न 'चार्जशीट'

पटनाः बिहार में भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई भी होती है, लेकिन सिस्टम में पेंच फंसाकर वे फिर से बहाल हो जाते हैं। कार्रवाई सिर्फ दिखावे के लिए होती है। आर्थिक अपराध इकाई ने एक भ्रष्ट अफसर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति केस में छापेमारी की थी। हजार में पगार पाने वाला परिवहन विभाग का एमवीआई 6 साल की नौकरी में ही करोड़पति बन गया था। ईओयू ने 17 नवंबर 2017 को आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में केस दर्ज कर छापेमारी की थी। रेड में आरोपी एमवीआई के ठिकानों से अकूत संपत्ति का पता चला था। चार साल बीत गए, न विभागीय कार्यवाही पूर्ण हुई और न जांच एजेंसी ने चार्जशीट ही दाखिल किया। परिणाम यह हुआ कि जिसकी नौकरी खत्म होनी चाहिए थी उसे फिर से बहाल कर दिया गया। परिवहन विभाग ने अकूत संपत्ति अर्जित करने वाले एमवीआई अमिताभ कुमार का निलंबन खत्म कर उसी आदेश में जिला पोस्टिंग भी कर दिया। 

परिवहन विभाग ने आर्थिक अपराध इकाई पर फोड़ा ठीकरा 

परिवहन विभाग के उप सचिव ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है. आदेश में कहा गया कि शिवहर के तत्कालीन मोटरयान निरीक्षक अमिताभ कुमार ने हाई कोर्ट का आदेश एवं सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र के आलोक में निलंबन मुक्त करने का आवेदन दिया. इस आधार पर विचार के बाद निलंबन मुक्त करने का निर्णय लिया गया. उप सचिव के पत्र में कहा गया है कि निलंबित एमवीआई ने मौखिक रूप से पक्ष रखा कि वह लंबी अवधि से निलंबित है. विभागीय कार्यवाही प्रभावित करने की स्थिति में नहीं है. जांच कार्य में आर्थिक अपराध इकाई एवं संचालन पदाधिकारी को सहयोग कर रहे हैं. ऐसे में निलंबन मुक्त करने पर विचार किया जाए.

निलंबन तोड़ने के बाद बना दिया भोजपुर का एमवीआई 

 परिवहन विभाग के पत्र में कहा गया है कि आर्थिक अपराध इकाई से इनके विरुद्ध कोर्ट में दाखिल आरोपपत्र की प्रति मांगी गई. आर्थिक अपराध इकाई ने 3 फरवरी 2021 को सूचित किया था कि अनुसंधान पूर्ण होने पर केस में चार्जशीट दाखिल किया जाएगा. उसके बाद उसकी प्रति उपलब्ध करा दी जाएगी. इससे स्पष्ट है कि आर्थिक अपराध इकाई ने आरोप पत्र समर्पित नहीं किया. अमिताभ कुमार को आर्थिक अपराध इकाई से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर ही 7 फरवरी 2018 को निलंबित किया गया था . आर्थिक अपराध इकाई ने इस मामले में इनके विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल नहीं किया. इस स्थिति में निलंबित रखने का कोई आधार नहीं है. ऐसे में इन्हें तत्काल निलंबन मुक्त किया जाता है. परिवहन विभाग ने निलंबन मुक्त करने के साथ ही मोटरयान निरीक्षक को भोजपुर में पदस्थापित भी कर दिया है.

बता दें, आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की टीम ने 17 नवंबर 2017 को पटना से ट्रांसफऱ करा कर शिवहर गए एमवीआई अमिताभ कुमार के पटना समेत तीन जिलों में चार ठिकानों पर छापेमारी की थी। रेड में ‘धन कुबेर’ बने एमवीआई (मोटर यान निरीक्षक) की करोड़ों की संपत्ति की हकीकत सामने आ गई थी। जांच टीम ने राजधानी के आनंदपुरी मुहल्ले में स्थित एमवीआई अमिताभ के निजी घर व किराए के फ्लैट में चल रहे प्राइवेट ऑफिस के अलावा बक्सर के कोपवां गांव स्थित पैतृक घर व शिवहर में ऑफिस को खंगाला। घर में 950 ग्राम सोने के आभूषण मिले। 2 लाख नकद व शॉपिंग कार्ड बरामदगी के साथ ही एमवीआई व उनकी पत्नी के नाम बैंकों में 28 लाख कैश डिपॉजिट हैं। पटना से दिल्ली तक रियल एस्टेट, बैंक व वित्तीय संस्थानों में निवेश का पता चला . बैंक लॉकर का भी पता चला. बक्सर के कोपवां गांव के अमिताभ वर्ष 2011 में एमवीआई नियुक्त हुए थे। उस समय उनकी मासिक पगार महज 25 हजार रुपए थी। छापेमारी के समय वेतन करीब 40 हजार रुपए थी। पटना के बाद शिवहर जिले में पोस्टेड हुए एमवीआई करीब साढ़े छह वर्षों में ही अवैध कमाई के जरिए करोड़पति बन गए। 


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