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तो क्या कांग्रेस में रहने के लिए लगाने पड़ते हैं सनातन विरोधी नारे, गौरव वल्लभ ने पार्टी से इस्तीफा देते हुए लगाए गंभीर आरोप, जानिए क्या कुछ कहा?

तो क्या कांग्रेस में रहने के लिए लगाने पड़ते हैं सनातन विरोधी नारे, गौरव वल्लभ ने पार्टी से इस्तीफा देते हुए लगाए गंभीर आरोप, जानिए क्या कुछ कहा?

DESK: तो क्या कांग्रेस में रहने के लिए लगाने पड़ते हैं सनातन विरोधी नारे? दरअसल, यह सवाल तब खड़ा हुआ जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पार्टी पर दिशाहीन होने का आरोप भी लगाया है। साथ ही यह भी कहा है कि वह सनातन विरोधी नारे नहीं लगा सकते। इसलिए वह पार्टी से इस्तीफा दिया है। 

 श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में कांग्रेस पार्टी के स्टैंड से क्षुब्ध हूं

गौरव वल्लभ ने "धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः तस्माधर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्" , श्लोक का जिक्र करते हुए कहा है कि, अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में कांग्रेस पार्टी के स्टैंड से मैं क्षुब्ध हूं। मैं जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक हूं, पार्टी के इस स्टैंड ने मुझे हमेशा असहज किया, परेशान किया। पार्टी व गठबंधन से जुड़े कई लोग सनातन के विरोध में बोलते हैं, और पार्टी का उसपर चुप रहना, उसे मौन स्वीकृति देने जैसा है।

पार्टी में सहज महसूस नहीं कर पा रहा

उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजे गए त्यागपत्र में कहा-‘कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है, उसमें मैं ख़ुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा। मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता। इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहा हूं।

संपूर्ण हिंदू समाज के विरोधी के रुप में नजर आ रही कांग्रेस

गौरव वल्लभ ने आगे कहा कि, इन दिनों पार्टी गलत दिशा में आगे बढ़ रही है। एक ओर हम जाति आधारित जनगणना की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर संपूर्ण हिंदू समाज के विरोधी नजर आ रहे हैं, यह कार्यशैली जनता के बीच पार्टी को एक ख़ास धर्म विशेष के ही हिमायती होने का भ्रामक संदेश दे रही है। यह कांग्रेस के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है। आर्थिक मामलों पर वर्तमान समय में कांग्रेस का स्टैंड हमेशा देश के वेल्थ क्रिएटर्स को नीचा दिखाने का, उन्हें गाली देने का रहा है। आज हम उन आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण व वैश्वीकरण (एलपीजी) नीतियों के खिलाफ हो गए हैं जिसको देश में लागू कराने का पूरा श्रेय दुनिया ने हमें दिया है। देश में होने वाले हर विनिवेश पर पार्टी का नज़रिया हमेशा नकारात्मक रहा। उन्होंने कांग्रेस से पूछा है कि, क्या हमारे देश में बिज़नेस करके पैसा कमाना गलत है ?

पार्टी सदस्यता से दिया इस्तीफा

उन्होंने आगे कहा कि, जब मैंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी, उस वक्त मेरा ध्येय सिर्फ यही था कि आर्थिक मामलों में अपनी योग्यता व क्षमता का देशहित में इस्तेमाल करूंगा। हम सत्ता में भले नहीं हैं, लेकिन अपने मैनीफेस्टो से लेकर अन्य जगहों पर देशहित में पार्टी की आर्थिक नीति-निर्धारण को बेहतर तरीके से प्रस्तुत कर सकते थे। लेकिन, पार्टी स्तर पर यह प्रयास नहीं किया गया, जो मेरे जैसे आर्थिक मामलों के जानकार व्यक्ति के लिए किसी घुटन से कम नहीं है।

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