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सिवान का सोहागरा मंदिर : यहां बाणासुर की बहन ने की थी भगवान शिव की आराधना, वैद्यनाथ धाम जैसी है महिमा

सिवान का सोहागरा मंदिर : यहां बाणासुर की बहन ने की थी भगवान शिव की आराधना, वैद्यनाथ धाम जैसी है महिमा

SIWAN: सावन का महीना भगवान शिव के लिए विशेष महत्व रखता है। सावन का महीना भगवान शिव की पूजा-अर्चना का प्रमुख समय होता है। इस महीने के दौरान, विशेष रूप से सोमवती अमावस्या और शिवरात्रि के दिन, भक्तों द्वारा भगवान शिव के लिए उपवास, पूजा और व्रत रखे जाते हैं। सावन के दौरान, विशेष रूप से सोमवार के दिन, शिवलिंग की पूजा करने का महत्व अधिक होता है। भक्त इस समय जल, दूध, दही, शहद, और अन्य पवित्र सामग्री से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं। इस महीने को पवित्र माना जाता है।

भगवान शंकर की पूजा के लिए पूरे देश भर के शव भक्त देवघर स्थित बाबा बैजनाथ धाम जाते हैं। यहां सावन के महीने में श्रद्धालुओं और शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है लेकिन, भोलेनाथ भगवान शिव की महिमा और कृपा के लिए एक और धाम प्रसिद्ध है वह है सिवान का सोहगरा धाम। जहां, बाबा हंस नाथ मंदिर में स्थापित विशाल शिवलिंग हैं। इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि यहां पूजा अर्चना और जलाभिषेक करने से मनचाही मुरादें पूरी होती है। खासकर सोमवार के दिन शिवलिंग का जलाभिषेक करने के लिए यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है। मंदिर के बारे में लोगों की ऐसी आस्था है कि यहां प्रसाद चढ़ा कर पूजा अर्चना करने से मन्नते पूरी होती है। मंदिर मनचाहे पति और संतान प्राप्ति के लिए विख्यात है। जिस वजह से यहां सबसे ज्यादा महिलाएं और युवतियां पूजा अर्चना के लिए आती हैं।

सिवान जिले के गुठनी प्रखंड स्थित सोहगरा धाम में सावन के मौके पर श्रद्धालुओं खासकर महिलाएं और कुंवारी युवतियों का पूजा करने के लिए तांता लग जाता है। सावन के तीसरी सोमवारी यानी आज सुबह 4 बजे से ही यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। शिव भक्त बाबा को जल चढ़ाने के लिए लंबी कतार में खड़े हैं। बिहार-उत्तर प्रदेश की सीमा स्थित यह सोहगरा धाम पौराणिक स्थानों में से एक है। यहां स्थित बाबा हंस नाथ मंदिर में भगवान शिव का विशाल शिवलिंग देखने को मिलता है। जो सावन के महीने में लोगों की आस्था का खास केंद्र बन जाता है। यहां दूर दराज से श्रद्धालु भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं।

हालांकि अति प्राचीन शिव मंदिर की उत्पत्ति और निर्माण के बाद कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती है। मंदिर से जुड़ी कई कहानियां है कहा जाता है कि मंदिर में स्थापित विशाल शिवलिंग अपने आप प्रकट हुआ है। जिसकी राक्षसराज बाणासुर की पुत्री ने उषा ने पूजा अर्चना की तो फलस्वरूप उसकी शादी भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के साथ हुई। वहीं कालांतर में काशी नरेश राजा हंस ध्वज ने संतान उत्पत्ति के लिए यहां आकर मन्नत मांगी थी और उनकी मुराद पूरी हो गई। इसके बाद राजा हंसनाथ ने इस विशाल मंदिर का निर्माण कराया तबसे मंदिर का नाम बाबा हंस नाथ हो गया और मंदिर संतानहीन दंपत्तियों व कुंवारियों के पूजा का केंद्र बन गया।

वहीं सोहगरा धाम के पुजारी भी लोगों की आस्था और मंदिर से जुड़ी कहानियों को सही बताते हैं। पुजारियों की माने तो यह मंदिर द्वापर युग का है जहां पूर्व में विशाल जंगल हुआ करता था। राक्षस राज रावण के मित्र बाणासुर की पुत्री उषा को भ्रमण के दौरान यहां विशाल शिवलिंग मिला था। महाशिवरात्रि और सावन के महीने में यहां दूरदराज श्रद्धालु और शिवभक्त जलाभिषेक के लिए आते हैं और पूजा अर्चना कर मन्नत मांगते हैं।

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