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दो जन्म प्रमाण पत्र का फायदा उठा रहे सपा नेता आजमा खां को सात साल की जेल, पत्नी-बेटे को भी मिली सजा

दो जन्म प्रमाण पत्र का फायदा उठा रहे सपा नेता आजमा खां को सात साल की जेल, पत्नी-बेटे को भी मिली सजा

RAMPUR : सपा नेता अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाण पत्र केस में आजम खान परिवार को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। रामपुर कोर्ट ने अब्दुल्ला, पिता आजम खान और मां तजीन फातिमा को दो जन्मतिथि केस में दोषी करार देते हुए सात साल की सजा सुना दी है। कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने दोषी करार देते ही तीनों को हिरासत में ले लिया था। 

अब सजा सुना दिया गया है और तीनों सीधे कोर्ट से जेल जाएंगे। बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाण पत्र को लेकर केस दायर किया था जिस पर फैसला आया है और मां, बाप और बेटे तीनों को दोषी पाया गया। कोर्ट का फैसला आने से बाद पुलिस प्रशासन चौकन्ना है। रामपुर कचहरी में भारी संख्या में पुलिस की तैनाती कर दी गई है। बता दें कि इससे पहले आजम खान के वकील ने अर्जी लगाई थी कि केस सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए। हालांकि ये अर्जी कोर्ट ने खारिज कर दी थी। 

लघु उद्योग प्रकोष्ठ के तत्कालीन क्षेत्रीय संयोजक एवं भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने 2019 में गंज थाने में सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां के बेटे पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम के खिलाफ दो जन्म प्रमाणपत्र होने का मामला दर्ज कराया था। जिनमें एक रामपुर नगरपालिका परिषद से, जबकि दूसरा प्रमाणपत्र लखनऊ नगर निगम से बनवाया। आरोप है कि उसका प्रयोग अब्दुल्ला आजम ने विधानसभा चुनाव के दौरान किया। पुलिस ने मामले की जांच कर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी।  मामले में सपा नेता आजम खां और उनकी पत्नी डॉ. तंजीन फात्मा को भी आरोपी बनाया गया था। सपा के राष्ट्रीय महासचिव आजम खान के बेटे एवं स्वार के पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम के खिलाफ भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने केस दर्ज कराया था। 

30 गवाहों और दस्तावेजों के आधार पर कोर्ट का फैसला
सपा के पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाणपत्र मामले में कोर्ट 30 गवाहों और उपलब्ध दस्तावेजी सुबूतों के आधार पर अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। दोनों ओर से 15-15 गवाह सुनवाई के दौरान पेश किए गए। 

कोर्ट में अभियोजन की ओर से मुकदमे के वादी विधायक आकाश सक्सेना समेत 15 गवाहों के बयान दर्ज हुए, जबकि अब्दुल्ला आजम, आजम खां व डॉ. तंजीन फात्मा की ओर से अपने बचाव में 15 गवाहों के बयान कराए। इसके अलावा अभियोजन की ओर से विधि व्यवस्थाओं के साथ ही हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में पारित निर्णय का भी हवाला दिया गया है।

अब्दुल्ला आजम की ओर से जिला कोर्ट में 16 अक्तूबर को रिवीजन दाखिल किया गया था। जनपद जज ने केस को एमपी-एमएलए सेशन कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था। दोनों पक्षों को सुनने के बाद एमपी-एमएलए सेशन कोर्ट के जज विनोद बर्नवाल ने अब्दुल्ला का रिवीजन खारिज कर दिया। विधायक आकाश सक्सेना के वकील संदीप सक्सेना ने बताया कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अब्दुल्ला की ट्रांसफर अप्लीकेशन खारिज हो चुकी है। अब यहां एमपी-एमएलए कोर्ट ने फैसला सुनाया है और आजम खान को बीवी और बेटे के साथ जेल भेज दिया है।

 जा चुकी है अब्दुल्ला की विधायकी
2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान अब्दुल्ला की ओर से जन्मतिथि का जो ब्योरा दिया गया था। उसे उस समय उनके निकटतम प्रतिद्धंदी रहे नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उनका कहना था कि 2017 में चुनाव के समय अब्दुल्ला आजम की उम्र 25 साल से कम थी, जबकि चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने फर्जी कागजात और हलफनामा दाखिल किया था।

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