नयी दिल्ली- राज्य को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का उप-वर्गीकरण करने का अधिकार है इस मामले पर आज देश की सबसे ऊंची अदालत ने अपना फैसला सुनाया. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने आज इसपर फैसला सुना दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने 6:1 के बहुमत से व्यवस्था दी कि राज्यों के पास आरक्षण के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति में उप-वर्गीकरण करने की शक्तियां हैं. कोर्ट ने कहा कि कोटा के लिए एससी, एसटी में उप-वर्गीकरण का आधार राज्यों द्वारा मानकों एवं आंकड़ों के आधार पर उचित ठहराया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला इस याचिका पर दिया है, जिसमें कहा गया था कि क्या राज्यों को नौकरियों और दाखिलों में आरक्षण के लिए एससी, एसटी में उप-वर्गीकरण करने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने ईवी चिन्नैया मामले में 2004 के फैसले को पलट दिया जिसमें कहा गया था कि उप-वर्गीकरण की अनुमति नहीं है, क्योंकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति सजातीय वर्ग बनाते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने 8 फरवरी को अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अन्य की दलीलें सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था.आज देश की सबसे बड़ी अदालत ने फैसला सुना दिया है.