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आनंद मोहन की रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा बिहार सरकार से सवाल,कितने ऐसे लोकसेवकों को रिहा किया?नीतीश सरकार ने क्या दिया जवाब?

आनंद मोहन की रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा बिहार सरकार से सवाल,कितने ऐसे लोकसेवकों को रिहा किया?नीतीश सरकार ने क्या दिया जवाब?

दिल्ली - पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई मामले की सुनवाई करते हुए  सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से पूछा कि कितने ऐसे लोकसेवकों को रिहा किया?  इस दौरान देश की सबसे बड़ी अदालत ने नीतीश सरकार से पूछा कि पूर्व सांसद आनंद मोहन सहित कितने दोषियों को इस अप्रैल में सजा में छूट देकर समय से पहले रिहा किया गया है, जिन्हें ड्यूटी पर तैनात लोक सेवकों की हत्या करने का दोषी ठहराया गया था. बिहार जेल मैनुअल 2012 में सशोधन कर कानून को लचीला बनाया गया। उसी के बाद पूर्व सांसद रिहा हो सके.  जस्टिस सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रंजित कुमार ने कहा कि डीएम जी कृष्णैया की हत्या मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे आनंद मोहन सहित कुल 97 दोषियों को सजा में छूट देकर समय से पहले रिहा किया गया है. जस्टिस दत्ता ने इसके बाद सवाल किया कि ‘क्या इन सभी 97 लोगों को लोक सेवक की हत्या का दोषी ठहराया गया था और यदि नहीं, तो कितने लोग ऐसे अपराध के दोषी थे.’ इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता कुमार ने कहा कि उनके पास फिलहाल ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है . सुप्रीम कोर्ट ने कहा आप (बिहार सरकार) उन लोगों की जानकारी पेश करें, जिन्हें लोक सेवक की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था और सजा में छूट दी गई थी. इसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई 26 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी.


आनंद मोहन बिहार के बाहुबली नेताओं में से एक हैं. 1994 में बिहार के गोपालगंज जिले के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया हत्या मामले में आनंद मोहन दोषी करार दिए गए थे. मुजफ्फरपुर के खबरा में एनएच 28 पर बेरहमी से पिटाई के बाद गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस मामले में  पहले  साल 2007 में निचली अदालत ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई लेकिन सजा के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देने के बाद हाईकोर्ट से उन्हें बड़ी राहत दी गई. कोर्ट ने फांसी की सजा को उम्र कैद में बदल दिया था. नीतीश कुमार की वर्तमान सरकार ने जेल कानून में बदलाव करके आनंद मोहन को रिहा करने का रास्ता साफ किया। उसके बाद  बीते 27 अप्रैल को जेल से रिहा कर दिया गया. 

नीतीश  और तेजस्वी की सरकार द्वारा आनंद मोहन को जेल से रिहा करने के लिए बिहार जेल मैनुअल 2012 में सशोधन कर कानून को लचीला बनाया गया. उसी के बाद पूर्व सांसद रिहा हो सके. गोपालगंज के तत्कालीन  जिलाधिकारी  दिवंगत जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने सुप्रीम कोर्ट से उनकी रिहाई आदेश वाले बिहार सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग की है.उमा कृष्णैया की ओर दायर याचिका में आरोप लगाया गया कि बिहार सरकार ने 10 अप्रैल, 2023 के संशोधन के जरिए पूर्वव्यापी प्रभाव से बिहार जेल मैनुअल, 2012 में जानबूझकर  संशोधन किया. संशोधन का मकसद यह सुनिश्चित करना था कि हर हाल में दोषी आनंद मोहन को छूट का लाभ दिया जाए. उन्होंने बार बार कहा कि आनंद मोहन जैसे लोगों की रिहाई होना ठीक बात नहीं है। ऐसे लोगों को फिर से राजनीति में नहीं आना चाहिए.

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