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बैलट से चुनाव की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज, इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन और वीवीपैट के सौ फीसदी मिलान को भी नहीं ठहराया सही

बैलट से चुनाव की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज, इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन और वीवीपैट के सौ फीसदी मिलान को भी नहीं ठहराया सही

दिल्ली- लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए मतदान चल रहा है.इसी बीच देश की सबसे बड़ी अदालत ने चुनावों में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन  और वीवीपैट को  लेकर एक बड़ा निर्णय दिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने वीवीपैट मशीनों की पर्चियों से इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन  के शत-प्रतिशत मिलान, बैलेट पेपर से मतदान समेत अन्य कई मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है.  

इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन  से वोटिंग और वीवीपैट  पर्चियों की मिलान को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में  साफ कर दिया है कि, मतदान इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन  से ही होगा. इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन  -वीवीपैट का सौ प्रतिशत मिलान भी नहीं किया जाएगा. सर्वोच्च न्यायालय  ने कहा कि, 45 दिनों तक वीवीपैट की पर्ची सुरक्षित रहेगी. इन पर्चियों को प्रत्यासी के हस्ताक्षर वाले बॉक्स में सुरक्षित तरीके से रखा जाएगा.देश की सबसे बड़ी अदाल ने यह भी निर्देश दिया कि, चुनाव के बाद सिंबल लोडिंग यूनिटों को भी सीलकर सुरक्षित किया जाए

मार्च 2023 में लोकतान्त्रिक सुधारों के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स  ने सौ फीसदी इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन  वोटों और वीवीपैट की पर्चियों के मिलान करने की मांग को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. 

देश की सबसे बड़ी अदालत के फैसले बाद राजनीतिक पार्टियां और प्रत्यासियों के लिए एक रास्ता खुला है. वे इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन  की जांच करवा सकेंगे.दूसरे या तीसरे नंबर पर आने वाले किसी कैंडिडेट को शक है तो वो रिजल्ट के ऐलान के 7 दिन के भीतर शिकायत कर सकता है.शिकायत के बाद इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन  बनाने वाली कंपनी के इंजीनियर्स इसकी जांच करेंगे. किसी भी लोकसभा क्षेत्र में शामिल विधानसभा क्षेत्रवार की टोटल इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन  में से 5 प्रतिशत मशीनों की जांच हो सकेगी. इन फिसदीइलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन   को शिकायत करने वाला प्रत्याशी या उसका प्रतिनिधि चुनेगा. इस जांच का खर्च कैंडिडेट को ही उठाना होगा. खर्च कितना आएगा, इसका फैसले में जिक्र नहीं है लेकिन जांच पूरी होने के बाद चुनाव आयोग बताएगा कि जांच में कुल कितना खर्च आया. आयोग इसे नोटिफाई करके बताएगा.जांच के बाद अगर ये साबित होता है कि इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन  से छेड़छाड़ की गई है तो शिकायत करने वाले प्रत्याशी को जांच का पूरा खर्च लौटा दिया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश देते हुए कहा कि  सिंबल लोडिंग प्रक्रिया के पूरा होने के बाद सिंबल लोडिंग यूनिट को सील कर दिया जाए. सील की गई सिंबल लोडिंग यूनिट को 45 दिन के लिए स्ट्रॉन्ग रूम में स्टोर किया जाए. कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया कि इलेक्ट्रॉनिक मशीन से पेपर स्लिप की गिनती के सुझाव का परीक्षण कीजिए और यह भी देखिए कि क्या चुनाव निशान के अलावा हर पार्टी के लिए बारकोड भी हो सकता है


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