DESK. भाजपा सांसद और भोजपुरी गायक मनोज तिवारी पर उनका ही गाना चरितार्थ हो गया है. मनोज तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से फटकार लगी तो उनके ही गए गाने 'चट्ट देनी मार देलही खींच के तमाचा, ही ही ही ही हंस देले, रिंकिया के पापा' उन पर सटीक बैठ गया है. मनोज तिवारी चाहते हैं कि दिल्ली में पटाखों पर लगा प्रतिबंध हटाया जाए. इसे लेकर तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. लेकिन कोर्ट में जब इस मामले में सुनवाई हुई तो मामला उल्टा पड़ गया.
सुनवाई के दौरान यहां तक कह दिया कि बीजेपी नेता उस राज्य में जा सकते हैं जहां पर पटाखों पर बैन ना हो, लेकिन दिल्ली से प्रतिबंध नहीं हटने वाला है. दरअसल, दिल्ली सरकार ने इस साल 11 सितंबर को पटाखों पर बैन लगा दिया. मनोज तिवारी को इस प्रतिबंध पर आपत्ति है. दिल्ली सरकार का तर्क है कि सर्दियों में दिल्ली में प्रदूषण बढने का कारण पटाखे भी हैं. इसलिए दिवाली के पूर्व ही प्रतिबंध की घोषणा की गई है. इस पर मनोज तिवारी की ओर से एक याचिका दायर की गई थी.
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय स्तर पर ग्रीन क्रैकर्स को इजाजत दी गई है. वहां भी अगर नियमों का पालन नहीं होता है तो दुकानदार के लाइसेंस को रद्द किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा गया है कि पटाखों पर से बैन नहीं हटाया जा सकता है. मनोज तिवारी को यहां तक नसीहत दी गई है कि उन्हें जश्न मनाने के दूसरे तरीके खोजने चाहिए. इसे मनोज तिवारी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
दिल्ली में पिछले कई वर्षों से प्रदूषण बढ़ने को लेकर चिंता जाहिर की जाती रही है. इस कारण दिल्ली में पिछले वर्ष भी दिवाली के पूर्व पटाखों पर प्रतिबंध लगाया गया था. एक बार फिर से प्रतिबंध का आदेश जारी हो गया है. हालांकि मनोज तिवारी को यह नागवार गुजरा और उनकी ओर से प्रतिबंध हटाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. लेकिन मनोज की मांग को कोर्ट ने अनसुना कर दिया है. यहां तक कि ‘रिंकिया के पापा को सुप्रीम फटकार’ भी लगी है.