पटना. जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गयी है। पटना के एमपी एमएलए कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया है। यह वारंट सरकारी काम में बाधा डालने के मामले में जारी किया गया है। मामला तीन साल पहले का है।
दरअसल 2 फरवरी 2019 को उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी की तरफ से एक प्रदर्शन मार्च निकाला था। पटना के डाकबंगला चौराहा को जाम कर दिया था। इसको लेकर उपेंद्र कुशवाहा पर तोड़फोड़, रोड जाम और सरकारी काम में बाधा डालने का गंभीर आरोप लगा था। साथ ही कोतवाली थाना में केस दर किया गया था। उस समय वे राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे।
इस केस को IPC की धारा 147, 148, 149, 188, 352, 341, 342, 323, 332, 353, 506 और 427 सहित IPC की कुल 12 धाराओें में दर्ज किया गया था। इस केस में उपेंद्र कुशवाहा और पार्टी के सदस्य अरविंद कुमार को नामजद किया गया था, जबकि, 250 से 300 लोग अज्ञात के रूप में शामिल किए गए थे।
मामले में कोर्ट ने 29 अगस्त को ही गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था। मगर एक महीने बाद भी वैशाली पुलिस ने उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया। इस मामले में एमपी एमएलए कोर्ट ने 15 अक्टूबर को गैर-जमानती वारंट के तामील पर रिपोर्ट मांगी है।