PATNA : टीइटी एसटीइटी शिक्षकों को सहायक शिक्षक राज्यकर्मी का दर्जा तदनुरूप सेवाशर्त के लिए सूबे के शिक्षकों ने प्रदेशभर में जिला मुख्यालयों पर पदयात्रा निकाली| सेवाशर्त में शिक्षकों के मांगों को सरकार द्वारा नजरअंदाज करने के खिलाफ शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक ढ़ंग से अपना प्रतिवाद दर्ज किया। राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर कंधे पर तिरंगा उठाये शिक्षकों ने जुलूस की शक्ल में सड़क पर चलते हुए अपनी मांगों से संबंधित तख्तियां हाथों में ले रखी थी| तख्तियों पर सहायक शिक्षक राज्यकर्मी का दर्जा देना होगा, माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक सुझाव को लागु करो, टीइटी एसटीइटी उत्तीर्ण शिक्षकों की हकमारी बंद करो, धोखा और वंचना का जवाब देंगे, बदला लो बदल डालो, आदि नारे लिखे हुए थे|
पटना मे पदयात्रा का कार्यक्रम गांधी मैदान में गांधी जी की मूर्ति पर माल्यार्पण से शुरू कर शहीद भगत सिंह चौराहे पर पहुंच भगत सिंह को माल्यार्पण कर समाप्त किया गया। कार्यक्रम का नेतृत्व जिला संयोजक चंदन पटेल एवं राज्य कार्यकारिणी सदस्य मुकेश राज ने किया।
यहां सभा को संबोधित करते हुए नेताओं ने कहा कि हम गांधी और भगत सिंह के वारिस हैं। हम शिक्षा और शिक्षक बजाने के लिए अहिंसात्मक आंदोलन चला रहे हैं सरकार हमें भगत सिंह की तरह धमाका करने के लिए बाध्य ना करें। हमारा आंदोलन और संघर्ष मांगे पूरी होने तक जारी रहेगा।
वहीं टीइटी-एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट के प्रदेश अध्यक्ष मार्कंडेय पाठक एवं प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पाण्डेय ने जानकारी देते हुए बताया कि स्थानीय निकायों के जरिये कमतर वेतन और शोषणप्रद शर्तों पर शिक्षकों के नियोजन प्रक्रिया को समाप्त करने और उसकी जगह समुचित सरकार के द्वारा केंद्रीकृत नियुक्ति के लिए शिक्षक लागातार आंदोलनरत रहे हैं. लेकिन बिहार सरकार ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक सुझावों को दरकिनार करते हुए शिक्षकों को बंधुआ बनाये रखने की साजिश के तहत टीइटी एसटीइटी शिक्षकों को उनके वाजिब सेवाशर्त से वंचित किया है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाये गये इपीएफ संशोधन कानून के आलोक में मूल वेतन पर इपीएफ कटौती के बजाय मिनिमम वेज पर इपीएफ की कटौती करते हुए शिक्षकों के इपीएफ के पर भी कतर दिये गये हैं. अनुकंपा के नाम पर आश्रितों के लिए मस्टररॉल टाइप अनुसेवी और विद्यालय सहायक जैसे मानदेयी पद गढ़े गये हैं जिनसे एक परिवार का मिनिमम गुजारा संभव नही।
पाठक ने कहा कि नियोजित शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों के लिए सरकार द्वारा लाया गया बहुप्रतीक्षित सेवाशर्त बंधुआकरण का दस्तावेज है. सेवाशर्त में ऐच्छिक स्थानान्तरण, फुलफ्रेज इपीएएफ, अर्जितावकाश, ग्रेच्युटी, बीमा, मेडिकल समेत टीइटी एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षकों की महत्वपूर्ण मांगों को दरकिनार कर दिया गया है।
इसके साथ ही जहां ऐच्छिक स्थानान्तरण का लाभ शिक्षिकाओं एवं विकलांगों के लिए केवल एकबार रखा गया है, वहीं म्युचअल स्थानान्तरण के नाम पर शिक्षकों को भ्रमित करने की कोशिश की गई है। अर्जितावकाश भी राज्यकर्मियों को तीन सौ दिनों का मिलता है वही नियोजित शिक्षकों को महज 120 दिनों का दिया गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा हकमारी की गई है और हकमारी के खिलाफ सूबे के टीइटी एसटीइटी शिक्षकों में सरकार के प्रति तीखा आक्रोश है। शिक्षक चुप नही बैठनेवाले हैं. शिक्षकों का आक्रोश सरकार की विदाई का संकेत है. बदला लो बदल डालो के नारे के साथ शिक्षक आनेवाले दिनों में सरकार को उसी की भाषा में जवाब देंगे।