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नीतीश कुमार के कारण हुआ था बिहार में सियासी बदलाव का सबसे बड़ा वाकया, लालू यादव और सुशील मोदी को दिलाया था 450 वोट... फिर

नीतीश कुमार के कारण हुआ था बिहार में सियासी बदलाव का सबसे बड़ा वाकया, लालू यादव और सुशील मोदी को दिलाया था 450 वोट... फिर

पटना. बिहार की सियासत में लालू यादव, नीतीश कुमार और सुशील मोदी ऐसे नाम हैं जो भले ही अलग अलग राजनीतिक दलों में हों, लेकिन राज्य की सियासी धुरी पिछले कई दशकों से इन्हीं नेताओं के आसपास केंद्रित है. इन नेताओं का बिहार की सियासत में उभार का केंद्र पटना विश्वविद्यालय के छात्र संघ का चुनाव रहा था. छात्र राजनीति से शुरू हुआ इनका सियासी सफर आज के दौर में बिहार की राजनीति में ऐसे मुकाम पर पहुंच गया है जहाँ बिहार की पूरी सियासत ही इन्हीं के आसपास केंद्रित है. लेकिन बिहार की सियासत में लालू यादव और सुशील मोदी को स्थापित करने में नीतीश कुमार की अहम भूमिका रही थी. यह खुलासा शनिवार को सीएम नीतीश ने किया. 

उन्होंने पटना में मीडिया से बात करते हुए इसका खुलासा किया.  साल 1973 में जब पटना विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव हुए. उसमें लालू यादव और सुशील मोदी की क्रमशः अध्यक्ष और महासचिव के रूप में जीत हुई थी. नीतीश ने बताया कि तब उन दोनों की जीत में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. नीतीश के अनुसार उस समय नीतीश कुमार इंजीयरिंग कॉलेज के छात्र थे. वहां छात्र संघ के वोटों की संख्या 500 थी. उसमें में 450 वोट लालू और सुशील मोदी के पक्ष में गिरे. इसमें नीतीश की कोशिशों का बड़ा असर रहा. 

दरअसल, 1973 में जब पटना विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव हुए तब लालू के लिए सबसे बड़ी चुनौती एबीवीपी संगठन थी. लेकिन लालू तब तक विश्वविद्यालय में इतने प्रसिद्ध हो चुके थे कि लोग उनको काफी पसंद करते थे. 1973 में लालू ने एबीवीपी से गठबंधन करके चुनाव लड़ा था. उन्होंने पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह को हराया था. लालू प्रसाद यादव अध्यक्ष बने. सुशील मोदी महासचिव बने और रविशंकर प्रसाद सहायक महासचिव बने. इसी चुनाव के बाद लालू यादव जेपी आंदोलन के दौरान और आगे बढ़े. बाद में लालू यादव सक्रिय राजनीति में आ गए. वे विधायक फिर बिहार के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री बने. वहीं सुशील मोदी भी बिहार के उप मुख्यमंत्री बनने के साथ ही राज्य और केंद्र में अलग अलग सदनों के सदस्य रहे. 

इस बीच नीतीश कुमार भी पहले बिहार विधानसभा पहुंचे. फिर वे लोकसभा के लिए वर्ष 1989 में निर्वाचित हुए. केंद्र सरकार में कई मंत्रालयों को सम्भालने के बाद नीतीश वर्ष 2005 से बिहार में मुख्यमंत्री हैं. इस दौरान एक छोटे से कालखंड में जीतन राम मांझी सीएम रहे. 


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