प्रोसेशन के लिए दिए गए ऑर्केस्ट्रा व बैंड के एडवांस के लाखों रुपए डूबे
पूजा समितियों के अध्यक्ष व सचिवों ने कहा भारत की संस्कृति को धीरे-धीरे खत्म करने का हो रहा है प्रयास
प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने की बजाय सीधे सारे कार्यक्रमों को बंद कर दे रहा
CHHAPRA : भारत की संस्कृति को धीरे धीरे समाप्त करने का प्रयास बिहार सरकार कर रही है यहां तुष्टिकरण की नीति अपनाई जा रही है। यह कहना है छपरा के विभिन्न पूजा समितियों का। समितियों के अध्यक्ष व सचिवों ने बताया कि इस बार प्रोसेशन नहीं निकालने के लिए प्रशासन की ओर से लगातार सख्ती बड़ती जा रही थी। प्रशासनिक अधिकारियों का यह कहना सरकार के तरफ से ही आदेश है कि एक भी जुलूस या प्रोसेशन नहीं निकलेगा तो क्या यह मान कर चला जाए कि भारत में धीरे धीरे हिंदू संस्कृति को समाप्त करने की कोशिश हो रही है। यदि जुलूस या प्रोसेशन से विवाद या घटनाएं होने की आशंका है तो प्रशासन अपनी सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त क्यों नहीं करती है। सीधे कार्यक्रमों को ही बंद क्यों कर दे रही है। चाहे देवी जागरण का कार्यक्रम हो या रावण वध का या फिर अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सब पर प्रशासन ने अपना डंडा चलाया। नतीजा छपरा के उन 40 लाख की आबादी के साथ क्रूर मजाक किया गया।
सरकार पर भेदभाव के लग रहे आरोप
पूजा समिति के अध्यक्ष संजीत कुमार टुनटुन ने बताया कि राज्य सरकार तुष्टीकरण की नीति के तहत चल रही है बीते खास वर्ग के त्यौहारों में जुलूस भी निकला और तमाम कार्यक्रम भी हुए लेकिन उस पर रोक नहीं लगाई गई लेकिन जब दशहरा आया तो 1 महीने पहले से ही नियम कानून लगाने शुरू कर दिए गए। पूजा समिति के सचिव अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि सरकार यह घोषणा ही क्यों नहीं कर देती है कि हिंदू रीति रिवाज से संबंधित कोई भी पर्व त्यौहार नहीं होंगे।
शहरवासियों के सबसे अधिक हाथ लगी मायूसी
हर साल शहरवासी शहर के सभी प्रतिमाओं का दर्शन करने के लिए बेचैन रहते हैं उन्हें इंतजार रहता है की एकादशी और द्वादशी के दिन पूर्वी और पश्चिमी छपरा शहर के प्रतिमाएं शहर भ्रमण करेंगे और फिर उनका दर्शन हो जाएगा लेकिन इस बार शहरवासियों को मायूसी हाथ लगी है शहरवासी इतने नाराज हैं कि अब यहां के जनप्रतिनिधियों को चुनाव में मजा चखाने की तैयारी में है।