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अयोध्या राम मंदिर का ग्राउंड फ्लोर बनकर हुआ तैयार, महासचिव ने मानचित्र के जरिए दी कई अहम जानकारी, जाने कैसे होगा राम मंदिर प्रांगण...

अयोध्या राम मंदिर का ग्राउंड फ्लोर बनकर हुआ तैयार, महासचिव ने मानचित्र के जरिए दी कई अहम जानकारी, जाने कैसे होगा राम मंदिर प्रांगण...

DESK: अयोध्या अपने श्रीराम की स्वागत करने के लिए तैयार है। राम मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से जारी है। राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा अगले साल 24 जनवरी को होनी है। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए सभी को न्योता भी दिया जा रहा है। वहीं श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय आए दिन राम मंदिर से जुड़ी कई जानकारी साझा करते रहते हैं। बुधवार को एक बार फिर चंपत राय ने नक्शे के जरिए मंदिर से जुड़ी कई अहम जानकारियां दी है। उन्होंने नक्शे जरिए बताया है कि श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य कहा तक पहुंचा है और मंदिर प्रांगण में किस जगह पर कौन सी सुविधा दी गई है।   

महासचिव ने बताया कि राम मंदिर के लिए 70 एकड़ भूमि आवंटित है। जिसमें से अधिकतम 30 फीसदी भाग पर राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। उत्तरी हिस्से में मंदिर बनाया जा रहा है जो कि दक्षिण की तुलना में पतला क्षेत्र है। उन्होंने कहा, 'आप यह सवाल कर सकते हैं कि मंदिर को क्यों इतने छोटे हिस्से में बनाया गया और बड़ी वाली जगह पर क्यों नहीं? इसकी वजह यह है कि 70 साल से कोर्ट में जो याचिका दायर है वो इसी प्लाट नंबर को लेकर है। इसीलिए इसे नहीं छोड़ा जा सकता था।'

चंपत राय ने कहा कि राम मंदिर को तीन मंजिला बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया, 'फिलहाल ग्राउंड फ्लोर तैयार हो गया है। पहले फ्लोर का काम चल रहा है और दूसरे फ्लोर की तैयारी है। इस मंदिर के चारों ओर दीवार बनाई जा रही है और इसे लेकर भी काम शुरू कर दिया गया है।' उन्होंने कहा कि राम मंदिर परिसर का अधिकांश हिस्सा सैकड़ों पेड़ों के साथ हरा-भरा क्षेत्र होगा। खुद के सीवेज, जल शोधन संयंत्र, एक दमकल चौकी और विशिष्ट बिजली लाइन जैसी सुविधाओं के साथ आत्मनिर्भर होगा।

मंदिर प्रागंण का 70 फीसदी हिस्से में हरियाली रहेगी। जिसे हरित क्षेत्र कहा जाएगा। 'हरित क्षेत्र में ऐसे हिस्से शामिल हैं, जो बहुत घने हैं और इसके कुछ हिस्सों में सूरज की रोशनी भी मुश्किल से ही नीचे पहुंच पाती है।' हरित क्षेत्र में लगभग 600 मौजूदा पेड़ संरक्षित किए गए हैं। महासचिव ने कहा कि मंदिर परिसर अपने तरीके से आत्मनिर्भर होगा और अयोध्या नगर निगम की सीवेज या जल निकासी प्रणाली पर कोई बोझ नहीं डालेगा।

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