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बिहार की जनता के बीच जा रहे चिराग को नहीं मिला पीएम का 'आशीर्वाद', सरकारी बंगला खाली करने का मिला नोटिस

बिहार की जनता के बीच जा रहे चिराग को नहीं मिला पीएम का 'आशीर्वाद', सरकारी बंगला खाली करने का मिला नोटिस

NEW DELHI/PATNA : हर दिन बिहार की जनता के बीच घूम रहे चिराग पासवान के लिए मुसीबतें कम होती नजर नहीं आ रही हैं। जहां पार्टी में हुए टूट के बाद सबको फिर से जोड़ पाने में ज्यादा कामयाब नहीं मिल पा रही है, वहीं दूसरी तरफ एक माह की अवधि में मोदी सरकार ने उन्हे दूसरा बड़ा झटका दिया है। जहां पहले चिराग की इच्छा के विपरीत चाचा पशुपति पारस को दिवंगत रामविलास पासवान की खाली हुई कुर्सी की जिम्मेदारी सौंप दी गई। वहीं दूसरा झटका उस बंगले को लेकर है, जिसमें चिराग ने अपने जीवन के तीस साल से भी अधिक समय गुजारा है। शहरी विकास मंत्रालय के तहत आने वाले संपदा निदेशालय की ओर से 12 , जनपथ स्थित इस बंगले को खाली करने के लिए कहा गया है।

बता दें कि इस बंगले को रामविलास पासवान को आवंटित किया गया था। जो इस बंगले में तीस साल से भी ज्यादा समय तक रहे। उनके निधन के बाद भी यह बंगला खाली नहीं कराया गया, क्योंकि चिराग खुद सांसद थे,साथ ही लोजपा के अध्यक्ष होने के नाते इस बात की पूरी संभावना थी कि वह केंद्र में मंत्री बन सकते हैं। 


लेकिन, जिस तरह चाचा पशुपति पारस ने पहले पार्टी, फिर केंद्रीय मंत्री पद हासिल करने से चिराग की किनारे करने में कामयाबी हासिल की, उसके बाद चिराग के बंगले पर सबकी नजर लगी हुई थी। अब संपदा निदेशालय की तरफ से चिराग को दूसरी नोटिस भेजी गयी है,जिसमें उन्हें बंगला खाली करने के लिए कहा गया है.

पिता की बरसी तक बंगले में रहने की चाहत

चिराग पासवान को अब फिर से नोटिस भेजा गया है. इस बंगले में फिलहाल चिराग पासवान अपनी मां और परिवार के कुछ अन्य सदस्यों के साथ रह रहे हैं.  अब देखना होगा कि बंगला खाली करने के संबंध में नोटिस मिलने के बाद चिराग पासवान का अगला कदम क्या होगा?. सूत्रों ने जानकारी दी कि अपने पिता रामविलास पासवान की पहली बरसी तक चिराग पासवान इसी बंगले में रहना चाहते हैं. आठ अक्टूबर को रामविलास पासवान की पहली बरसी होगी.





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