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एकमात्र भूमिहार मंत्री को अमित शाह के मंच पर नहीं दिया गया बोलने का मौका, बीजेपी के एंटी भूमिहार अभियान पर छिड़ गया घमासान

एकमात्र भूमिहार मंत्री को अमित शाह के मंच पर नहीं दिया गया बोलने का मौका, बीजेपी के एंटी भूमिहार अभियान पर छिड़ गया घमासान

पटना. भाजपा में भूमिहार जाति के नेताओं के खिलाफ एक जबरदस्त अभियान चलाया जा रहा है. इसके कई सबूत इससे पहले भी सामने आ चुके हैं. बीजेपी के स्थापना काल से ही भूमिहारों ने जिस तरीके से अपने खून और पसीने से इसकी सियासी जमीन को सींचा उसे कोई पैमाना देना मुश्किल है. सैंकड़ो भूमिहारों की बलि दे दी गई, सिर्फ इसलिए कि यह जाति लालू के जंगलराज के खिलाफ होते हुए इस पार्टी के साथ विपरीत परिस्थिति में भी एक जुटता के साथ खड़ी थी. वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव समारोह के दौरान जिस तरीके से बीजेपी कोटे से एकमात्र भूमिहार मंत्री को मात्र एक मिनट भी बोलने का मौका नहीं दिया गया यह साबित करता है कि बीजेपी में भूमिहारों के लिए अब जगह नहीं है. यह कहना है ब्रह्मजन चेतना मंच के राष्ट्रीय सचिव बाल मुकुंद शर्मा का. 

मंच संचालनकर्त्ता की क्या थी मजबूरी : बाल मुकुंद शर्मा कहते हैं कि आखिर जब सबको बोलने का मौका मिला तो फिर कुछ नेताओं को क्यों नहीं. खासकर भूमिहार कोटे के मंत्री जीवेश मिश्रा को क्यों दरकिनार किया गया. क्या उन्हें बोलने नहीं आता? आखिर कौन सी मजबूरी थी मंच संचालन कर रहे माननीय नेता जी की. यह तो नेताजी ही समझ सकते हैं कि इसके पीछे कौन सा खेल है. इतनी उम्र तो है और सियासत की अच्छी समझ भी है. याददाश्त भी मजबूत है तो फिर क्या मंच संचालन करने वालों को यह याद नहीं था या फिर जानबूझकर इस तरीके से भूमिहार नेताओं को प्रताड़ित करने का काम किया जा रहा है. यह अच्छी बात नहीं है. बीजेपी अगर इसी तरीके से अपनी सियासत जारी रखेगी तो आने वाले चुनाव में चित्त होने में देर नहीं लगेगी. भूमिहार सत्ता के शिखर पर ही पहुँचाना नहीं जनता बल्कि उसे कुर्सी से खींचकर जमीन पर पटकने का भी माद्दा रखता है. लालू यादव इसके सबसे सशक्त उदाहरण है. 

सच्चिदानंद राय के साथ भी बीजेपी ने दिखाई ‘दोगली नीति’ : बाल मुकुंद शर्मा बताते हैं कि पार्टी के एक इमानदार, कर्तव्यनिष्ठ साथ ही चंद भाजपाई आईआईटीयन नेताओं में से एक सच्चिदानंद राय के साथ भी बीजेपी ने ‘दोगली सियासत’ का खेल खेलने से तनिक परहेज नहीं किया.परिणाम यह हुआ कि एमएलसी चुनाव में छह माह लगातार मेहनत कराकर और अंत में ठेंगा दिखा दिया. सच्चिदानंद राय ने भी पलटवार करते हुए निर्दलीय खड़ा होने का मन बनाया और शानदार जीत दर्ज की. शर्मा बताते हैं कि यह प्रमाण था कि सच्चिदानंद राय नेता नहीं एक कार्यकर्त्ता थे. जब ऐसे लोगों कि पार्टी को जरूरत है तो उस दौर में कुछ रीढ़विहीन नेताओं द्वारा ऐसी सियासत की जा रही है कि आने वाले समय में बीजेपी के लिए मुश्किल होना तय है. 

बोचहां में पहली बार बीजेपी के खिलाफ भूमिहारों का जंग-ए-ऐलान : जिस नेता के कंधे पर बोचहां चुनाव में जीत का परिणाम हासिल करने की जिम्मेदारी थी जो बड़ी बड़ी बातें चुनाव के दौरान कर रहे थे लेकिन जब परिणाम आया तो मुंह छिपाने की जगह नहीं मिल रही थी. बाल मुकुंद शर्मा यहीं नहीं रुकते हैं वे कहते हैं पिछले 35 वर्षों की सियासत में बिहार की धरती पर बोचहां में पहली दफा बीजेपी के खिलाफ भूमिहारों ने जंग-ए-ऐलान किया. आज परिणाम सबके सामने है. एक बड़ी मार्जिन से राजद उम्मीदवार जीतने में सफल रहे. लेकिन बीजेपी ने लगता है बोचहां से सबक नहीं लिया. 

अतिपिछड़ो और दलितों के के साथ भी बीजेपी का मन हुआ बेईमान : विजयोत्सव समारोह में गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में न सिर्फ भूमिहार कोटे के मंत्री को दरकिनार किया गया बल्कि पासवान जाति से आने वाले बड़े नेता व मंत्री रामप्रीत पासवान को भी बोलने का मौका नहीं दिया गया. इसी श्रेणी में मंत्री प्रमोद सिंह भी रहे. बाल मुकुंद शर्मा कहते हैं कि अति पिछडो और दलितों का पर कतरना बीजेपी के सियासी रणनीति का हिस्सा है. स्व. रामविलास पासवान के बेटे और जमुई सांसद चिराग पासवान को जैसे बंगले से बेदखल किया गया वह सबको पता है. देश के दलित नायकों की तस्वीरों के साथ बीजेपी के नेतृत्व ने क्या किया यह भी किसी से छिपा नहीं है. बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को यह चाहिए जिन रीढ़विहीन नेताओं ने बोचहां में बीजेपी की छवि धूमिल की उन पर तत्काल कार्रवाई करे और उनसे पिंड छुड़ाए नहीं तो बीजेपी का पिंडदान होना तय है. 


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