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पटना के खिड़ीमोड़ गाँव पहुंचा लद्दाख में शहीद मेजर मनोज कुमार का पार्थिव शरीर, अंतिम दर्शन के लिए उमड़ा जनसैलाब

पटना के खिड़ीमोड़ गाँव पहुंचा लद्दाख में शहीद मेजर मनोज कुमार का पार्थिव शरीर, अंतिम दर्शन के लिए उमड़ा जनसैलाब

PATNA : देश के लिए अपने कर्तव्यों की निर्वहन करते हुए कश्मीर के लद्दाख में ड्यूटी पर तैनात मेजर मनोज कुमार की शहादत के बाद जब तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर आज जब उनके पैतृक गाँव पटना जिले के पालीगंज अनुमंडल क्षेत्र के खिड़ीमोड़ गाँव पहुंची तो अपने लाल के आखिरी दीदार के लिए जन सैलाब उमड़. सभी ने अपने नम आँखों से अपने लाल का दीदार करते हुए उन्हें आखरी सलाम करते हुए अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उन्हें भावभीनी विदाई दिया.

बताते चलें की तिरंगे झंडे में लिपटे हुए शहीद मेजर मनोज कुमार के पार्थिव शरीर को लेकर सेना के जवान और अधिकारी उनके पैतृक गाँव पहुंचे. उनके पिता विद्यानंद सिंह ,पत्नी, भाई के साथ उनके दोनों छोटे छोटे बच्चों और अन्य सभी परिजनों और ग्रामीणों के साथ हजारों की भीड़ अपने लाल की दर्शन के लिए टूट पड़े. परिजनों की रोने पीटने की करुणामई क्रंदन से कोहराम मच गया. सभी के आँखों में आंसू के धार बहने लगे. 

उनके पैतृक आवास पर परिजनों के आखरी दर्शन के बाद उनकी अंतिम विशाल तिरंगा यात्रा तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर के साथ निकाली गई. जिसमें हजारों लोगों ने "जब तक सूरज चाँद रहेगा वीर मनोज तेरा नाम अमर रहेगा "गगन चुम्बी नारे लगाये. मिली जानकारी के अनुसार देश के लिए अपने शहादत देने वाले शहीद वीर मेजर मनोज कुमार की अंतिम यात्रा उनके पैतृक आवास से शुरू होकर समादा गाँव के पास स्थित पुनपुन नदी घाट तक लगभग तीन किलोमीटर की अधिक की दुरी तय कर पहुंची. इस दौरान अपने हाथों में तिरंगे झंडे लेकर हजारों की संख्या में युवाओं, गाँव के बड़े बुजर्गो के साथ साथ आसपास के दर्जनों गावों के हजारों लोगों की जन सैलाब उनके अतिम यात्रा के रास्ते में पड़ने वाले गावों के लोग भी में शामिल होते गए. देखते देखते एक विशाल जन सैलाब में तब्दील हो गई. 

समदा गाँव के पास पुनपुन नदी घाट पर पार्थिव शरीर को सेना के साथी जवानो ने गार्ड ऑफ़ ऑनर दिया. विधि विधान से वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ शहीद मेजर मनोज कुमार के छोटे से नन्हें पुत्र के द्वारा मुखाग्नि दिया गया. जिसके बाद पार्थिव शरीर देखते ही देखते पंच तत्व में विलीन हो गया. 

पटना से अमलेश की रिपोर्ट 

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