GAYA : बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के वाबजूद लोग न सिर्फ इसका सेवन करते हैं बल्कि इसके अवैध व्यवसाय करने से भी बाज नही आ रहे हैं। हाल में ही बिहार में अवैध और जहरीली शराब के कारण दर्जनों लोगों की मौत हुई है। इसके बाद सरकार भी अवैध शराब कारोबार के खिलाफ सख्ती दिखा रही है। लेकिन लोग अभी भी मान नही रहे हैं।
इन सबके बीच आज हम मिलवाते हैं एक ऐसे सख्स से जिसका जीवन शराबबंदी कानून ने बदल दिया है। बोधगया के बतसपुर गांव का रहने वाला निर्धन और भूमिहीन ईश्वर मांझी बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के पहले अवैध शराब बनाता था और बेचता था। आज इसे ग्रामीणों ने अपना प्रधान चुन लिया है। विगत 17 नबम्बर को हुये मतगणना में ईश्वर मांझी बोधगया प्रखंड के बसाढी पंचायत का प्रधान निर्वाचित हुआ है। शराब कारोबारी से प्रधान की कुर्सी तक पहुचने की ईश्वर मांझी की कहानी बड़ा दिलचस्प है।
बताते हैं कि शराबबंदी कानून लागू होने के बाद वे पूरी तरह बेरोजगार हो गए थे। अपना और अपने परिवार के सदस्यों का पेट पालना मुश्किल हो रहा था। तब उन्होंने गांव के ही एक सामाजिक कार्यकर्ता से सम्पर्क साधा। जिनके मदद से कुछ बकरियां और सुअर खरीदा। साथ ही दूसरे के खेतों में मजदूरी भी करने लगे,जो आज तक कर रहे हैं। इन सबसे बड़ी बात की कभी शराब कारोबारी रहे ईश्वर मांझी दूसरे लोगों को भी प्रेरित करने लगे शराब बनाने और सेवन करने से मना करने लगे। इसी बात से वे इतने लोकप्रिय हुए कि लोगों ने अपना प्रधान चुन लिया। दूसरे की खेतों में मजदूरी करने वाला और फूस की झोपड़ी में रहने वाला यह सख्स आज दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बन चुका है।
गया से मनोज कुमार की रिपोर्ट