पटना. केंद्र की मोदी सरकार ने गुरुवार को संसद में वक्फ संशोधन बिल किया. इसके साथ ही कई किस्म के सवाल उठने लगे हैं कि क्या इससे वक्फ बोर्ड की ताकत कम होगी. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत केंद्र सरकार आखिर यह बदलाव क्यों कर रही है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि वक्फ बोर्ड है क्या. दरअसल, कानूनी शब्दों में इस्लाम में कोई व्यक्ति जब धार्मिक वजहों से या भगवान के नाम पर अपनी संपत्ति दान करता है तो वक्फ कहलाता है। इसमें चल या अचल दोनों तरह की संपत्ति हो सकती है।
साल 1954 में संसद ने वक्फ एक्ट 1954 कानून बनाया था। पाकिस्तान जाने वालों की जमीन वक्फ बोर्ड को दी गई। साथ ही उसके बाद भी वक्फ में मिलने वाली जमीन या संपत्ति की देखरेख करने वाली संस्था वक्फ बोर्ड है। अगर किसी ने वक्फ को जमीन दान की तो वह वक्फ की जमीन हो जाती है. वहीं कुछ वर्ष पूर्व वक्फ को नए अधिकार दिए गए जिसमें वक्फ अगर किसी जमीन पर दावा करता है तो जमीन मालिक की जिम्मेदारी बनती है कि वह साबित करे कैसे यह जमीन वक्फ की नहीं है. यानी वक्फ को किसी प्रकार का मालिकाना हक दिखाने की जरूरत नहीं है. इसी का पहले भी विरोध होता रहा है.
वहीं गुरुवार, 8 अगस्त 2024 को वक्फ संशोधन बिल लोकसभा में पेश किया। इस बिल के पेश होते ही सदन में हंगामा मच गया। इसके साथ ही सबसे ताकतवर मुस्लिम संस्था एक बार फिर चर्चा में है। रेलवे और सेना के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के पास ही है। वक्फ बोर्ड की कुल जमीन 9.4 लाख एकड़ है। कुल अचल संपत्तियों की संख्या 8.72 लाख। कुल रेवेन्यू 200 करोड़ रुपए सालाना।
मोदी सरकार वक्फ बोर्ड में बदलाव कर रही है. जानकारों के मुताबिक, वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की एंट्री, महिलाओं की भागीदारी, सरकार का कंट्रोल बढ़ाना, जिला मजिस्ट्रेट ऑफिस में रजिस्ट्रेशन जैसे बदलाव सरकार करना चाहती है। इसी को लेकर वक्फ सहित मुसलमानों के कई संगठन इसका विरोध कर रहे हैं. वहीं केंद्र सरकार वक्फ को पारदर्शी बनाने और इसके अधिकार क्षेत्र को ज्यादा व्यापक बनाने को लेकर नया संशोधन कर रही है.