KATIHAR : मां ऐसी होती है, मां वैसी होती है पर माँ जैसी भी होती है बस माँ तो मां होती है। अपने बच्चों के खुशी के लिए कोई भी हद पार कर लेने के रिश्ते को शायद मां कहतें है। मदर्स डे के मौके पर कटिहार के एक ऐसी ही मां के संघर्ष से आपको रूबरू करवाते हैं जो अपनी बेटी को बेहतर शिक्षा और अच्छे संघर्ष देने के लिए टोटो का स्टेरिंग थाम कर संघर्ष कर रही है।
कटिहार ड्राइवर टोला की रहने वाली प्रीतम पिछले कई सालों से अपने पति से अलग अपनी बेटी के साथ रह रही है। पति पर बेवफाई का आरोप लगाते हुए प्रीतम ने अपनी बेटी के लिए संघर्ष कर उसे ऊंचा मुकाम दिलाने का बीड़ा उठा लिया है। इसलिए प्रीतम कटिहार जैसे छोटे शहर में पहली ओर एक मात्र महिला ई-रिक्शा (टोटो) ड्राइवर बन कर संघर्ष कर रही है।
प्रीतम की मासूम बेटी भी अपनी मां को बेहद प्यार करती है ओर मदर्स-डे के मौके पर केक खिलाकर और तोहफा देकर अपने माँ के संघर्ष के दिन को विशेष बना रही है। प्रीतम को जानने वाले लोग कहते हैं कि सच में प्रीतम अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा और अच्छी परवरिश देने के लिए जिस तरह से ई-रिक्शा का स्टेरिंग थाम कर संघर्ष कर रही है। यह काबिले तारीफ है और मदर्स-डे के मौके पर किसी मां के ऐसे संघर्ष की कहानी सच में बेहद प्रेरक है।
कटिहार से श्याम की रिपोर्ट