Desk: जांबाज सैनिक के बहन का विवाह ...अशोक चक्र विजेता शहीद गरुड़ कमांडो 'ज्योति प्रकाश निराला' की बहन शशिकला की शादी की रश्में शुरु हो चुकी थीं....शहीद भाई की याद में बार बार शशिकला आंख छलक रही थी ...लेकिन ये क्या धरा के वीर एक भाई के बदले उसे विदा करने भाईयों की फौज हीं पहुंच गई...
यही बाकी निशा होगा...
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा...18 नवंबर 2017 ...कश्मीर के बांदीपोरा में एयरफोर्स की गरुड़ कमांडो यूनिट के ज्योति प्रकाश निराला को आतंकियों ने गोलियों से छलनी कर दिया इससे पहले उन्होंने दो खतरनाक आतंकियों लश्कर कमांडर लखवी के भतीजे उबैद उर्फ ओसामा और महमूद भाई को मार गिराया था और अपने जान की चिंता न करते हुए घायल साथियों की जान भी बचाई थी. इस ऑपरेशन में छह कुख्यात आतंकी मारे गए थे. निराला को शहादत के उपरांत पिछले साल 26 जनवरी को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था.
बहन तेरे पांव के आगे के पत्थर को धूल बना दूंगा
वीरगति को प्राप्त हुए देश के सपूत अशोक चक्र विजेता शहीद गरुड़ कमांडो 'ज्योति प्रकाश निराला' की बहन की शादी पिछले दिनों थी. इस शादी में शहीद के दर्जनों मित्र शामिल हुए. अपने शहीद दोस्त की बहन की शादी में इन जवानों ने एक भाई का फर्ज निभाते हुए विदाई के समय दुल्हन के पांव को जमीन पर नहीं पड़ने दिया और जहां-जहां दुल्हन के पांव पड़ते थे, उससे पहले शहीद के मित्र जवानों ने अपने हथेली बिछा दिया और वायुसेना के अन्य गरुड़ कमांडो के हथेलियों पर पांव रखकर शहीद की बहन जब विदा हुई तो पूरा गांव गर्व से खिल उठा.
भाई के बदले कई भाई पहुंच गए बहन को विदा करने
18 नवंबर 2017 को जम्मू के बांदीपुरा सेक्टर में पाकिस्तानी आतंकियों के साथ लड़ते हुए काराकाट थाने के बदीलाडीह गांव निवासी एयरफोर्स के गरुड़ कमांडो ज्योति प्रकाश निराला शहीद हुए थे. अशोक चक्र से सम्मानित शहीद की तीसरी बहन सुनीता की शादी थी और अपने शहीद साथी की बहन की शादी में देश के कोने-कोने में पदस्थापित 16 गरुड़ कमांडो आए थे. चार कंमांडो ने तादर तानी तो 12 ने अपनी हथेली पर बहन को मंडप तक पहुंचाया. लोगों ने कहा कि शहीद गरुड़ कमांडो की आत्मा भी प्रफुल्लित हो रही होगी. शशिकला के पति सुजीत कुमार बंगलुरू में रेलवे में लोको पायलट हैं. वे कहते हैं कि एक शहीद के घर शादी कर गौरवान्वित हैं. डेहरी में रेलवे इंजीनियरिंग विभाग में कार्यरत उनके पिता उमाशंकर यादव कहते हैं, इस बहू को घर लाकर हम धन्य हो गए. कोई दान-दहेज नहीं, वैसे भी बिहार में दहेज लेना मना है.
भाइयों की हथेली पर चल कर पहुंची मंडप
शादी में भाई की हर रस्म इन कमांडो ने ही अदा की. उस बहन का सौभाग्य इससे और ज्यादा क्या होगा, जिसके इतने-इतने भाई उसकी अपनी पलकों पर बिठाने को आतुर हों. पने शहीद दोस्त की बहन की शादी में इन जवानों ने एक भाई का फर्ज निभाते हुए विदाई के समय दुल्हन के पांव को जमीन पर नहीं पड़ने दिया और जहां-जहां दुल्हन के पांव पड़ते थे, उससे पहले शहीद के मित्र जवानों ने अपने हथेली बिछा दिया उस दृश्य ने तो कन्या और वर दोनों ही पक्ष को भावविह्वल कर दिया, जब मंडप पर जा रही बहन की राह में कमांडोज ने अपनी हथेलियां बिछा दीं. बहन को विदा भी इन्हीं हथेलियों पर किया.
दोस्त की बहन को पलक पर बैठाया
शहीद की बहन दुल्हन शशिकला कहती हैं कि आज जब उसकी शादी हो रही थी, तो उसके भाई की कमी उसे महसूस नहीं होने दिया गया. शहीद की आत्मा अपने साथियों को धन्यवाद दे रही होगी कि मेरे यारों ने मेरे परिवार को मेरी कमी महसूस नहीं होने दी तो, वहीं साथी गरुड़ कमांडो ने कहा कि युगों तक तेरी शहादत का जिक्र रहेगा. लोग कह रहे थे.....
है लहू शहीदों का नक़्श-ए-जावेदाँ यारो , मक़्तलों में होती है आज भी अज़ाँ यारो ....
शहीदों का तिरे शोहरा ज़मीं से आसमाँ तक है , फ़लक से बल्कि आगे बढ़ के तेरे आस्ताँ तक है....