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निगरानी केस में दागी 2 परिवहन दारोगा से हमदर्दी क्यों...? अपनी ही गाइडलाइन को ठेंगा दिखा रहा परिवहन विभाग, दो महीने में ही आदेश की हुई 'ऐसी की तैसी'..

निगरानी केस में दागी 2 परिवहन दारोगा से हमदर्दी क्यों...? अपनी ही गाइडलाइन को ठेंगा दिखा रहा परिवहन विभाग, दो महीने में ही आदेश की हुई 'ऐसी की तैसी'..

PATNA: परिवहन विभाग प्रवर्तन अवर निरीक्षकों (दारोगा) व निरीक्षकों की प्रतिनियुक्ति को लेकर जारी की अपनी ही गाइडलाईन को ठेंगा दिखा रहा है. पहले तो सरकार के नियमों को तोड़ा, फिर खुद के बनाए गाईडलाइन को भी दरकिनार कर दिया. जुलाई महीने में ही परिवहन सचिव ने नया गाईडलाइन जारी किया था. अगस्त महीने में ही उस नियम को बाय-बाय बोलते हुए दागियों को दूसरे जिले में प्रतिनियुक्ति शुरू हो गई. अब तो परिवहन विभाग धनकुबेर प्रवर्तन अवर निरीक्षकों-निरीक्षकों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई भी नहीं कर रहा. पहले इसकी संख्या एक ही थी, अब वो बढ़कर दो गई है. जिनके ठिकानों पर निगरानी ब्यूरो ने आय से अधिक संपत्ति केस में छापेमारी की, उसे परिवहन विभाग ने सस्पेंड भी नहीं किया. सवाल उठता है कि जब आय से अधिक संपत्ति केस में रेड के बाद अन्य को निलंबित किया गया तो फिर इन प्रवर्तन अवर निरक्षकों को क्यों नहीं ?  

अपनी ही गाईडलाईन को ठेंगा दिखा रहा परिवहन विभाग

परिवहन सचिव संजय अग्रवाल ने 24 जुलाई 2023 को प्रवर्तन अवर निरीक्षकों की प्रतिनियुक्ति को लेकर विस्तृत दिशा निर्देश जारी किया था. नए गाइडलाइन में सबसे खास बात यह थी कि परिवहन दारोगा की प्रतिनियुक्ति के समय उनके खिलाफ आरोपों से संबधित जांच, जांच रिपोर्ट को देखा जायेगा. इसके बाद ही फील्ड में प्रतिनियुक्ति दी जायेगी. परिवहन सचिव ने अपने संकल्प में कहा था कि नई प्रतिनियुक्ति के समय प्रवर्तन अवर निरीक्षकों-निरीक्षकों के विरूद्ध प्राप्त आरोप, परिवाद पत्र,जांच प्रतिवेदन को ध्यान में रखते हुए प्रशासनिक/अनुशासनिक आधार पर की जायेगी. इससे साफ था कि वैसे परिवहन दारोगा जिनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं,या फिर जांच चल रही है तो उन्हें फील्ड में प्रतिनियुक्ति नहीं भी की जा सकती है. लेकिन 16 अगस्त 2023 को परिवहन विभाग की तरफ से जिन 36 निरीक्षकों-अवर निरीक्षकों को विभिन्न जिलों में प्रतिनियुक्त किया गया, उनमें दागियों को भी जगह दी गई. सिर्फ प्रतिनियुक्ति ही नहीं की गई बल्कि एक की बजाय दो जिला दिया गया. 

श्यामनंदन और विकास हैं DA केस में दागी, विभाग ने आज तक सस्पेंड भी नहीं किया 

अब जरा जाने लें, कौन-कौन प्रवर्तन अवर निरीक्षक दागी हैं, जिन्हें परिवहन विभाग ने फिर से जिलों में तैनात किया है. एक श्यामनंदन प्रसाद हैं. पहले पूर्णिया में बतौर प्रवर्तन निरीक्षक तैनात थे. नई गाईडलाइन जारी होने के बाद अब इन्हें दो जिलों का प्रभार दे दिया गया है. श्यामनंदन प्रसाद अब मधुबनी और सुपौल जिले में प्रतिनियुक्त हैं. समस्तीपुर के तत्कालीन इंफोर्समेंट इंस्पेक्टर रहे श्यामनंदन प्रसाद के खिलाफ 2 दिसंबर 2019 को निगरानी ने DA केस दर्ज किया था. इसके बाद कई ठिकानों पर छापेमारी की गई थी. यह केस अभी भी जांच में है। रेड के दौरान निगरानी टीम ने बताया था कि 25 फरवरी 1991 को सरकारी सेवा में आए प्रवर्तन निरीक्षक व उनकी दो पत्नियों के पास 1.90 करोड़ की संपत्ति का पता चला था। इस दाैरान अनुमानित आय 1.65 करोड़ व खर्च 41.36 लाख हुआ। यानी अपने वैध आय के स्रोत से 71.21 लाख की संपत्ति हासिल करने के आरोप थे. निगरानी रेड के बाद भी परिवहन विभाग ने इन पर कोई कार्रवाई नहीं की थी, निलंबित भी नहीं किया गया था. आज भी ये ठाठ से नौकरी कर रहे.

विकास कुमार के खिलाफ 2023 में ही निगरानी ने की थी छापेमारी 

अब दूसरे प्रवर्तन अवर निरीक्षक पर आएं. दूसरे हैं किशनगंज में तैनात रहे विकास कुमार. निगरानी ब्यूरो ने मई 2023 में ही आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज कर विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी कर चुकी है. इन्हें भी अब तक सस्पेंड नहीं किया गया. नई गाईडलाइन जारी होने के बाद भी इन्हें किशनगंज से हटाकर अब बांका जिला में प्रतिनियुक्त किया गया है. यहीं से सवाल खड़ा होता है कि दागियों को खिलाफ परिवहन विभाग एक्शन क्यों नहीं ले रहा. आखिर कार्रवाई करने से हाथ किसने रोक रखा है ? विभाग के अंदर ही डीए केस के कई आरोपियों को विभाग सस्पेंड कर बिठा रखा है तो फिर इन दो परिवहन दारोगा से इतनी हमदर्दी क्यों.....बड़ा ही गंभीर इश्यू है. इसका जवाब विभाग के बड़े अधिकारियों को देना होगा. 


 

 


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