पटना... बिहार शिक्षक बहाली को लेकर सरकार अब तक गंभीर नहीं दिख रही है। अभ्यर्थी अब सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं और प्रशासन मूक दर्शक बनकर तमाशबीन बनी हुई है। दो वर्षों से चल रही नियुक्ति प्रक्रिया में पहले कई पेंच थे, लेकिन सभी बाधाएं दूर होने के बाद भी सरकार ने काउंसेलिंग की तिथि प्रकाशित करने पर रोक लगा रही है। इतना ही नहीं नीतीश सरकार के सामने कोर्ट के आदेश भी बौने साबित हो रहे हैं। परेशान अभ्यर्थी सभी जिलों में काउंसेलिंग की डेट जारी करने के लिए धरना-प्रदर्शन पर आमदा है, फिर इनकी सरकार नहीं सुन रही है। लेकिन, इस बीच नीतीश कुमार की पार्टी के ही राष्ट्रीय अध्यक्ष और एक सांसद ने आज ऐसा बयान दिया है कि जिससे सरकार की कथनी और करनी में फर्क का साफ पता चलता है।
अब मुद्दा ये है कि आखिर झूठ कौन बोल रहा है। सरकार के मातहत करने वाले अधिकारी झूठ बोल रहे हैं या फिर नीतीश कुमार की पार्टी के नेता झूठ बोल रहे हैं। शिक्षक बहाली में हीलाहवाली होने से वैसे तो कई सवाल उठ रहे हैं, लेकिन चुनाव के दौरान नीतीश सरकार और बीजेपी की ओर से 20 लाख नौकरी देने का वादा सिर्फ थोथली थी। गौरतलब है कि पहली बार कोई ऐसा चुनाव रहा होगा, जहां विपक्ष ने रोजगार को लेकर ऐजेंडा सेट किया और पूरा चुनाव इसी ऐजेंडे पर हुआ। पूरे चुनाव के दौरान सिर्फ रोजगार ही मुद्दा था और अब यही रोजगार को पाने के लिए लाखों अभ्यर्थी अकारण ही प्रदर्शन कर रहे हैं।
गौरतलब है कि आज यानि सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह और जदयू के सांसद ललन सिंह ने कहा कि तेजस्वी यादव को संविधान पता नहीं था, शायद इसलिए यह कह रहे थे कि पहली कैबिनेट बैठक में पहली हस्ताक्षर सें हम युवाओं को 10 लाख नौकरी देंगे। वहीं हमने युवाओं से ये कहा था कि हम प्रदेश में 20 लाख नौकरी सृजन करेंगे और हमारी सरकार आते ही पहली कैबिनेट में ही हमने अगले पांच साल में 20 लाख नौकरी सृजन करने के लिए हरी झंडी भी दे दी। अब इन बयानों से आप समझ सकते हैं कि क्या ये सरकार अपनी कथनी और करनी में फर्क नहीं दिखा रही है।
बता दें कि बिहार में करीब 94 हजार प्रारंभिक शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी बिहार सरकार को करनी है। गत वर्ष 15 दिसंबर 2020 को पटना हाईकोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया कि 23 नवंबर 2019 से पूर्व सीटीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी ही नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे। साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाएं और जल्द से जल्द शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित करें, लेकिन इसके बावजूद बिहार सरकार बहाली करने को लेकर अड़ियल रवैया अपना रखी है। अगर बिहार सरकार कोर्ट के निर्देश को नहीं मानती है ताे यह बिहार सरकार सीधे उच्च न्यायालय की अवमानना करती है।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब शिक्षा विभाग की ओर से जल्द ही नियोजन इकाईयों को नियुक्ति पत्र बांटने समेत सभी प्रक्रिया पूरी करने का शिड्यूल जारी तो किया गया, लेकिन ये कहा गया कि काउंसेलिंग की डेट बाद में जारी की जाएगी। अब शेड्यूल की प्रक्रिया को तय समय में पूरा नहीं करने और काउंसेलिंग की तारीख नहीं देने पर अभ्यर्थियों में भारी आक्रोश पनप गया है।
पटना से मदन कुमार की रिपोर्ट