आठ महीने में पूरा होगा बिहार में जातिगत जनगणना का काम, इतने सौ करोड़ हो जाएंगे खर्च

PATNA : बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर सर्वदलीय बैठक के 24 घंटे के अंदर नीतीश कुमार की कैबिनेट ने भी स्वीकृति दे दी है। गुरुवार को हुए बैठक में जातिगत जनगणना को लेकर लगनेवाले समय और आनेवाले प्रारंभिक खर्च को लेकर चर्चा हुई। जिसमें बताया गया कि जातिगत जनगणना का काम आठ महीने में पूरा कर लिया जाएगा। 

पांच अरब की राशि होगी खर्च

अपने खर्च पर जातिगत जनगणना कराने का फैसला कर चुकी नीतीश सरकार इस पर लगभग पांच अरब रुपए खर्च करेगी। गुरुवार को बैठक के बाद मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सरकार के स्तर पर जाति आधारित गणना कराने की जिम्मेदारी सामान्य प्रशासन विभाग की होगी।  उन्होंने बताया कि इस कार्य पर 500 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है, जिसका प्रावधान बिहार आकस्मिकता निधि से किया जाएगा। 

फरवरी तक होगा काम पूरा

मुख्य सचिव ने बताया कि वर्ष 2023 के फरवरी माह तक गणना पूरी करने का लक्ष्य तय किया गया है। उन्होंने बताया कि जिला स्तर पर जिलाधिकारी इसके नोडल पदाधिकारी होंगे। जिले में गणना कराने का संपूर्ण प्रभार जिलाधिकारी पर ही होगा। सामान्य प्रशासन विभाग एवं जिलाधिकारी ग्राम, पंचायत एवं उच्चतर स्तरों पर विभिन्न विभागों के अधीनस्थ कार्य करने वाले कर्मियों की सेवाएं जाति आधारित गणना का कार्य कराने के लिए ले सकेंगे।

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आर्थिक स्थिति का भी सर्वेक्षण होगा

मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि जाति आधारित गणना के दौरान लोगों की आर्थिक स्थिति का सर्वेक्षण भी होगा। जाति आधारित गणना की प्रगति से समय-समय पर विधानसभा के विभिन्न दलों के नेताओं को ‌अवगत कराया जाएगा। 

इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने कहा है कि जाति आधारित गणना कराने से राज्य की विभिन्न जातियों की स्थिति का ठीक-ठीक आंकड़ा उपलब्ध हो सकेगा। इससे विभिन्न जातियों की समुचित विकास के लिए योजनाएं तैयार कर उसके क्रियान्वयन में सुविधा होगी। 

मालूम हो कि जाति आधारित गणना पर सर्वदलीय बैठक की सहमति मिलने के अगले ही दिन कैबिनेट ने इसकी स्वीकृति दे दी है। बुधवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में सभी दलों ने बिहार में जाति आधारित गणना कराने पर सहमति जताई थी।