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बिहार का एक ऐसा मंदिर जहां नवरात्रि के नौ दिनों तक महिलाओं का प्रवेश रहता है वर्जित, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

बिहार का एक ऐसा मंदिर जहां नवरात्रि के नौ दिनों तक महिलाओं का प्रवेश रहता है वर्जित, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

NALANDA: पूरे देश में आज से नवरात्रि प्रारंभ हो गया है। मां दुर्गे की आराधना में भक्त लीन हो गए हैं। 10 दिनों तक चलने वाले इस नवरात्रि को लोग पूरे भक्ति और श्रद्धा से मनाते हैं। नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना किया जाता है। भक्त मां के नौ रुपों की अराधना करते हैं। वहीं बिहार में एक ऐसा मंदिर है। जहां नवरात्रि के मौके पर महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। 

दरअसल, नालंदा जिला के गिरियक प्रखंड के घोसरावा गांव में मां आशापुरी मंदिर है। यहां पर नवरात्र के मौके पर महिलाओं का प्रवेश वर्जित रहता है। 09 दिनों तक महिलाओं का मंदिर परिसर और गर्भ गृह में प्रवेश वर्जित रहता है। जबकि पुरुषों को सिर्फ मंदिर परिसर में पूजा करने की अनुमति रहती है। वहीं इस पूरे दिनों तक नौ देवियों की पूजन होती है। नवमी को पूजन हवन होता है। इसके बाद महिलाएं मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं। 

नवरात्रि की शुरुआत के साथ ही रविवार से मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है। मां आशापुरी मंदिर अति प्राचीन मंदिर है, जो पावापुरी मोड़ से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर घोसरावा गांव में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण मगध साम्राज्य में पाल काल में हुआ था। यहां पर मां दुर्गा की अष्टभुजा प्रतिमा स्थापित है। बताया जाता है कि मां आशापुरी मंदिर में तंत्र विद्या के तहत पूजा होती है और मां दुर्गे की आराधना होती है।

यही वजह है कि यहां 9 दिनों तक महिलाओं का प्रवेश वर्जित रहता है। यहां तात्रियांन पूजा के कारण मंदिर के गर्भ गृह से लेकर परिषर तक महिलाओं का पूर्णत प्रवेश रहता है। इस प्राचीन मंदिर की खासियत है कि यहां जो लोग सच्चे भाव से मन्नत मांगते है उसकी फरियाद पूरी होती है इसीलिए इस मंदिर का नाम आशापूरी भी रखा गया। यहां बंगाल,झारखण्ड ओड़ीसा,बिहार समेत कई राज्यों के लोग श्रद्धा भाव से दर्शन करने आते है।

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