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बिहार में प्राकृतिक खेती की असीम संभावनाएं, यहां से पूरे देश में जन आंदोलन बनाया जा सकता है- केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह

बिहार में प्राकृतिक खेती की असीम संभावनाएं, यहां से पूरे देश में जन आंदोलन बनाया जा सकता है- केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह

दिल्ली. प्राकृतिक खेती को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया. इसके बाद केंद्रीय इस्पात मंत्री राम चंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि प्राकृतिक खेती को देश में एक जन-आन्दोलन बनाने के लिए बिहार में असीम संभावनाएं हैं. हिमाचल प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश के लाखों किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैं खुद अपने गांव में अपनी धरती पर प्राकृतिक खेती करना शुरू करूंगा. 

केंद्रीय इस्पात मंत्री राम चंद्र प्रसाद सिंह ने जीरो बजट से होने वाली प्राकृतिक खेती पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उद्बोधन सुनने के बाद कहा कि पीएम मोदी के आहवान पर प्राकृतिक खेती को देश में एक जन-आन्दोलन बनाने के लिए बिहार में असीम संभावनाएं हैं. हिमाचल प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश के लाखों किसान प्राकृतिक खेती कर रहे है. गुजरात के डांग जिला को पूर्ण रूप से प्राकृतिक खेती जिला घोषित किया गया है. किसानों के लाभ के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि मैं खुद अपने गांव में अपनी धरती पर प्राकृतिक खेती करना शुरू करूंगा. मुझे गुजरात के माननीय राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी से अहमदाबाद में हुई मुलाकात में प्राकृतिक खेती के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त हुई थी. प्राकृतिक खेती मेरी भी रुचि का विषय रहा है, जिसे अब सरकार द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है. यह एक ऐतिहासिक पहल है. स्वस्थ धरती, स्वस्थ जीवन और आत्मनिर्भर कृषि के लिए प्रधानमन्त्री का किसानों को आह्वान उनके दूरदर्शी और समग्र दृष्टिकोण का द्योतक है. आरसीपी सिंह ने युवा पीढ़ी को आगे आ कर इस परंपरागत ज्ञान के जमीनी उपयोग से जुड़ने को कहा. यह एक हर्ष का विषय है कि प्राकृतिक खेती से 80 प्रतिशत छोटे किसानों को सबसे ज्यादा फायदा होगा.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में किसानों की आय में वृद्धि के उद्देश्य से जीरो बजट प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. यह उनके किसान प्रेम का प्रमाण है कि वो आने वाले 25 वर्षों में कृषि की आवश्यकताओं और चुन्नौतियों के अनुसार स्वयं को ढालने के लिए सभी को प्रोत्साहित कर रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में बीज से बाजार तक अलग-अलग पहलों द्वारा किसान की आय को बढाने के सरकार के प्रयास निश्चय ही प्रभावशाली हैं. उन्होंने सही कहा कि किसानों को संसाधन और पसंद के विकल्प देने के साथ-साथ, मिटटी-पानी का संरक्षण भी बहुत जरूरी है, जिसमें प्राकृतिक खेती बहुत लाभकारी होगी. इससे आयात में भी कमी आएगी और स्वास्थ्य पर भी अनुकूल प्रभाव होगा.

केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने कहा कि खेती को रसायन लैब से हटा कर प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ना, लैब से लैंड तक लाना,  वस्तुतः समय की मांग है. कम लागत, ज्यादा मुनाफा सभी किसानों के हित में है. आधुनिकता वास्तव में अपनी जड़ों से जुड़ने की ओर बल दे रही है, जो एक अकाट्य सत्य है. जैसा कि पीएम मोदी ने कहा प्राकृतिक खेती और कृषि से जुड़े अन्य आयाम 21वीं सदी में भारतीय कृषि का कायाकल्प करने में मदद करेंगे. यह गर्व का विषय है कि देश के कोने कोने से 8 करोड़ किसान आज इस सम्मलेन से जुड़े, जो माननीय प्रधानमंत्री और भारत सरकार में उनके अटूट विश्वास का परिचायक है.


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