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JDU संगठन में होगा फेरबदल ! कुछ नेताओं को मिलेगी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी तो कई लोगों की होगी छुट्टी, प्रकोष्ठ की संख्या भी बढ़ेगी

JDU संगठन में होगा फेरबदल ! कुछ नेताओं को मिलेगी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी तो कई लोगों की होगी छुट्टी, प्रकोष्ठ की संख्या भी बढ़ेगी

PATNA:  जेडीयू के अंदर अब आरसीपी प्रकरण पूरी तरह से खत्म हो गया है। रामचंद्र प्रसाद सिंह के अध्याय का अंत होने के बाद जदय़ू नेतृत्व अब बिहार संगठन में बदलाव को लेकर मंथन कर रहा है।अगले हफ्ते समर्पित कई नेताओं को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है। कुछ वैसे नेताओं को संगठन से बाहर किया जा सकता है जो निष्क्रिय हैं। साथ ही प्रकोष्ठों की संख्या भी बढ़ाई जायेगी। नेताओं की लिस्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा। सब कुछ ठीक रहा तो अगले हफ्ते प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा इसे सार्वजनिक कर देंगे। 

नेताओं को मिलेगी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी 

 जेडीयू के विश्वस्त सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि संगठन की मजबूती पर काफी ध्यान दिया जा रहा है। आरसीपी सिंह के समय का कल्चर अब खत्म हो गया है। अब वैसे नेताओं को संगठन में रखा जायेगा जो दल के हित में सोचते हों व पार्टी के लिए समर्पित रहे हों। प्रदेश अध्यक्ष के स्तर पर इसकी तैयारी की जा रही है। जानकारी के अनुसार प्रदेश इकाई में कुछ नए नेताओं को जगह मिलेगी। कुछ नेताओं को संगठन में उपाध्यक्ष, महासचिव और सचिव का पद दिया जा सकता है। खबर है कि कुछ लोगों को हटाया जायेगा और उनकी जगह नये लोगों को एडजस्ट किया जायेगा। संगठन में फेर बदल में लगभग 4 दर्जन लोग प्रभावित होंगे। इनमें कुछ का कद बढ़ेगा और कुछ लोगों का पद जायेगा। जानकारी के अनुसार लिस्ट 1-2 दिनों में ही जारी होना था, लेकिन नए नेताओं की सूची फिर से आ गई है। लिहाजा तारीख को आगे बढ़ा दिया गया है। 

प्रकोष्ठों की संख्या भी बढ़ेगी

 जेडीयू प्रदेश कमिटी में फेरबदल ही नहीं बल्कि प्रकोष्ठों की संख्या में भी बढ़ाई जायेगी। वर्तमान में 12 प्रकोष्ठ हैं, इसे बढ़ाकर पंद्रह तक करने की तैयारी है। यानि जो 2-3 नए प्रकोष्ठ बनेंगे उस पर भी जल्द घोषणा होगी। बता दें, आरसीपी सिंह जब राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तो प्रकोष्ठों की संख्या 33 पर पहुंच गई थी। इस वजह से दल के अंदर भारी कंफ्यूजन हो गया था। बताया जाता है कि आरसीपी सिंह ने अपने खास लोगों को प्रकोष्ठों में सेट कर दिया था। ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद प्रकोष्ठों की समीक्षा की गई थी। इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने सभी प्रकोष्ठों को भंग कर दिया था। नए सिरे से गठन के बाद प्रकोष्ठों की संख्या मात्र 12 हो गई। 

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