DESK : भारत में माना जाता है कि अगर कोई क्रिकेटर टीम इंडिया का हिस्सा बन जाए तो उसके पास पैसों की कोई कमी नहीं होगी। लेकिन यह बात पूरी तरह से सही नहीं है। कई खिलाड़ी टीम इंडिया का हिस्सा बनने के बाद भी आज गुमनामी की जिंदगी गुजार रहे हैं. ऐसे ही क्रिकेटरों में से एक हैं ज्ञानेंद्र शर्मा। जिन्हें बीसीसीआई की राजनीति के कारण वह मौका नहीं मिला, जिसके वह हकदार थे और आज भारतीय स्टेट बैंक में पीआर एजेंट बनकर गुजारा कर रहे हैं।
ज्ञानेंद्र पांडे ने अपने करियर में महज दो ही वनडे इंटरनेशनल मैच खेले हैं और दोनों पाकिस्तान के खिलाफ। हालांकि दोनों मैच में भारत को करारी हार का सामना करना पड़ा। दरअसल, 1999 में भारत में पेप्सी कप खेला गया था। इस ट्रायंगुलर सीरीज में भारत के अलावा पाकिस्तान और श्रीलंका ने हिस्सा लिया था। भारत और पाकिस्तान के बीच फाइनल मैच खेला गया था, जहां भारत को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था।
सचिन, सौरव, अजहर, गांगुली भी थे टीम का हिस्सा
इस सीरीज में भारत और पाकिस्तान के बीच कुल तीन मैच खेले गए थे और सभी मैचों में भारत को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था, जिसमें फाइनल मैच भी शामिल था। इस सीरीज में पाकिस्तान के खिलाफ हुए दो लीग मैचों में ज्ञानेंद्र पांडे भारत के प्लेइंग XI का हिस्सा थे। इसके अलावा सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, अजीत अगारकर, अनिल कुंबले, जवागल श्रीनाथ, मोहम्मद अजहरुद्दीन और अजय जडेजा जैसे जाने-माने नाम इस सीरीज का हिस्सा थे।
घरेलू क्रिकेट में किया शानदार प्रदर्शन
फर्स्ट क्लास क्रिकेट में दमदार प्रदर्शन के बावजूद वह इंटरनेशनल क्रिकेट में ज्ञानेंद्र शर्मा का करियर ज्यादा लंबा नहीं चल सका। एक इंटरव्यू में ज्ञानेंद्र पांडे ने कहा, ‘1997 में मैंने डोमेस्टिक क्रिकेट में बढ़िया प्रदर्शन किया था। दलीप ट्रॉफी फाइनल में मैंने 44 रन बनाए थे और तीन विकेट भी चटकाए थे।
इसके अलावा देवधर ट्रॉफी में भी मेरा प्रदर्शन शानदार रहा था। नॉर्थ जोन में विक्रम राठौर, वीरेंद्र सहवाग, नवजोत सिंह सिद्धू थे। मैंने पांच विकेट लिए थे और नॉटआउट 23 रन बनाए थे। वेस्ट जोन के खिलाफ मैंने नॉटआउट 89 रन बनाए थे, ईस्ट जोन के खिलाफ दो-तीन विकेट लिए थे और साउथ जोन के खिलाफ मैंने 28 या 30 रन बनाए थे और दो-तीन विकेट भी चटकाए थे।
चैलेंजर ट्रॉफी में मैंने रॉबिन सिंह और अमय खुरसिया का विकेट चटकाया था। इंडिया ए के लिए मैंने 26 रन देकर दो विकेट लिए थे और तब मुझे भारतीय टीम में जगह मिली। यह 1999 की बात है।
जयवंत लेले ने नहीं होने दिया चयन
1999 में ही न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भी ज्ञानेंद्र पांडे को जगह मिल सकती थी, लेकिन तब के बीसीसीआई सेक्रेटरी जयंत लेले ने उनके सिलेक्शन में रोड़े अटकाए थे। उस समय जयंत लेले ने कहा था कि अगर अनिल कुंबले को ब्रेक चाहिए तो सुनील जोशी को क्यों ना टीम में जगह मिले। इस पर ज्ञानेंद्र ने कहा, ‘मिस्टर लेले को सोचना चाहिए था कि वो क्या कह रहे हैं। उन्हें मेरी परफॉर्मेंस देखनी चाहिए थी। वो एक अंपायर भी थे, मैं समझ गया कि यह मेरी गलती थी, मुझे उस समय ट्रिक्स नहीं पता थीं, तो मुझे नहीं पता था कि चीजें कैसे काम करती हैं।