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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को नागवार गुजरा मोदी सरकार का यह निर्णय, मुसलमानों से फैसला न मानने की अपील, जानिए सब कुछ

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को नागवार गुजरा मोदी सरकार का यह निर्णय, मुसलमानों से फैसला न मानने की अपील, जानिए सब कुछ

दिल्ली. केंद्र की मोदी सरकार के कई फैसलों का विरोध कर चुके ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक बार फिर से मोदी सरकार के एक निर्णय के खिलाफ खुले तौर पर मुस्लिम समुदाय से अपील की है कि वे इस फैसले को न मानें. 75वें स्वतंत्रता दिवस महोत्सव को लेकर केंद्र सरकार ने देश के सभी राज्यों में सूर्य नमस्कार की एक योजना चलाने का निर्णय लिया है. इसके तहत देश के 30 हजार स्कूलों को पहले चरण में शामिल किया जाएगा. इन स्कूलों में 1 जनवरी 2022 से 7 जनवरी 2022 तक सूर्य नमस्कार का कार्यक्रम प्रस्तावित है. साथ ही 26 जनवरी को इसी क्रम में एक संगीत कार्यक्रम होना है. 

अब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को केंद्र का यह निर्णय नागवार गुजरा है. बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने स्कूलों में सूर्य नमस्कार कराने को मुस्लिमों के धार्मिक सिद्धांत के खिलाफ बताया है. उन्होंने कहा है कि सूर्य नमस्कार एक प्रकार की सूर्य पूजा है और इस्लाम में इस प्रकार की पूजा की अनुमति नहीं है. इसलिए बोर्ड ने अब मुस्लिम छात्र-छात्राओं को ऐसे कार्यक्रमों में सम्मिलित नहीं होने कहा है. उन्होंने केंद्र के इस निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि देश के सभी वर्गों पर बहुसंख्यक सम्प्रदाय की सोच और परम्परा को थोपने का प्रयास किया जा रहा है. 


उन्होंने कहा है कि आंध्र प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को केंद्र सरकार की ओर से इसके बारे में निर्देशित किया गया है जो निश्चित रूप से एक असंवैधानिक कृत्य है और देशप्रेम का झूठा प्रचार है. उन्होंने कहा कि सूर्य नमस्कार एक प्रकार की सूर्य पूजा है और इस्लाम तथा देश के अन्य अल्पसंख्यक न तो सूर्य को देवता मानते हैं और ना ही उसकी उपासना करते हैं. इसलिए ऐसे निर्देशों को वापस लिया जाए और केंद्र सरकर देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करे. 

इसके पूर्व भी मोदी सरकार के कई अन्य निर्णयों पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने खुला विरोध किया था. इसमें मुस्लिम महिलाओं के लिए लाया गया तीन तलाक का मामला भी शामिल था. इसी तरह समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर भी बोर्ड ने पहले ही अपनी आपत्ति दर्ज करा दी थी. वहीं अयोध्या राम मंदिर विवाद में भी बोर्ड ने दशकों कोर्ट में संघर्ष किया था. 


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