DESK : एक समय था जब भारत अपनी सुरक्षा के लिए विदेशी हथियारों पर निर्भर था। देश के बजट का बड़ा हिस्सा रक्षा उत्पादों की खरीदी पर खर्चा होता था। लेकिन अब स्थिति बदल गई है। रक्षा उत्पादों को लेकर भारत न सिर्फ आत्मनिर्भर बन रहा है, बल्कि इस स्थिति में पहुंच चुका है इन रक्षा उत्पादों को विदेशों में बेच सके। अब विदेशों मे रक्षा उत्पाद बेचने के मामले में नए रिकॉर्ड बना रहा है। आज भारत का रक्षा निर्यात 21 हजार करोड़ के आंकड़े को पार कर गया है। जो कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे अधिक है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इंटरनेट मीडिया पर देश की एक बहुत बड़ी सफलता की घोषणा कर बताया कि भारत ने 84 देशों को अपने रक्षा उत्पाद बेचकर यह चमत्कारिक लगने वाला लक्ष्य हासिल किया है। इस दिशा में सिर्फ एक वित्त वर्ष में 32.5 प्रतिशत का उछाल आया है।
50 भारतीय कंपनियां कर रही निर्माण
उन्होंने कहा कि रक्षा निर्यात बढ़ाने के लिए न सिर्फ भारत के रक्षा निर्माण क्षेत्र को प्रेरित किया गया बल्कि तकनीकी रूप से आधुनिक बनाने की सुविधाएं बढ़ाई गई हैं। इससे सरकारी और निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए उत्साहजनक वातावरण बन गया है। भारत के रक्षा निर्यात की इस सफलता की कहानी को अंजाम तक पहुंचाने में करीब 50 भारतीय कंपनियों ने अहम योगदान दिया है।
इन कंपनियों ने अन्वेषण के साथ ही प्रभावशीलता, गुणवत्ता का विशेष ख्याल रखते हुए भारत की रक्षा उपकरणों और तकनीकों के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में विश्व पटल पर स्थापित कर दिया है।
रूस, इटली, इजरायल जैसे देश बने खरीदार
भारत के रक्षा निर्यातक भौगोलिक रूप से विश्व के कोने-कोने तक अपनी पहुंच बना चुके हैं। देश के निर्यात किए उत्पाद इटली, मालदीव, श्रीलंका, रूस, यूएई, पोलैंड, फिलीपींस, सऊदी अरब, मिस्र, इजरायल, स्पेन, चिली समेत कई अन्य देशों तक पहुंच रहे हैं। भारतीय रक्षा उत्पादों की मांग वैश्विक स्तर पर बढ़ रही है।
इन उत्पादों की ज्यादा मांग
सुरक्षा के क्षेत्र में भारत की क्षमताओं को वैश्विक स्वीकृति मिल चुकी है। जिन भारतीय रक्षा उत्पादों का अधिकाधिक निर्यात किया जा रहा है, उनमें निजी सुरक्षा उपकरण, आफशोर पेट्रोल व्हिकिल, एएलएच हेलीकॉप्टर, एसयू एवियानिक्स, कोस्टल सर्विलांस सिस्टम, लाइट इंजीनियरिंग मैकेनिकल पार्ट्स, कवच एमओडी अन्य कई रक्षा उपकरण शामिल हैं।