PATNA : महिलाओं को जल्द इंसाफ मिले, इसके लिए हर जिले में महिला थाना खोला गया है। लेकिन समस्तीपुर के महिला थाने में महिलाओं को इंसाफ दिलाने का काम किस तरह से किया जाता है। इसकी बानगी तब देखने को मिली, जबभूखे भेड़ियों की हवस का शिकार हुई दो मासूम बच्चियों की सहायता करने के नाम पर रात भर थाने में बैठाकर रखा गया। इस दौरान महिला थाने में न तो एफआईआर करने की जहमत उठाई गई और न ही उनको मेडिकल जांच कराने के लिए भेजने की व्यवस्था की गई। यहां किस तरह के काम किया जाता है, वह इन दोनों बच्चियों के साथ हुए घटना से समझा जा सकता है।
पहला मामला माहे सिंघिया थाने से जुड़ा जहां एक 12 वर्षीय बच्ची से कुछ मनचलों ने दुष्कर्म किया। पीड़ित युवती मामला दर्ज कराने के लिए कल शाम से बैठी है लेकिन अब तक उसका ना f.i.r. हुआ और ना ही मेडिकल टेस्ट कराया गया।
इसी तरह दूसरा मामला खानपुर थाना क्षेत्र से आया जहां 6 साल की मासूम से गांव के एक युवक ने दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। खून से लथपथ पीड़ित मासूम बच्ची को परिजन सदर अस्पताल में इलाज के लिए लेकर आए, लेकिन अस्पताल कर्मियों ने यह कहकर इलाज से इनकार कर दिया कि ऐसे मामले में बिना पुलिस की अनुमति के जांच नहीं की जाएगी। अस्पताल की तरफ से कहा गया कि वह पुलिस को लेकर आए।
रात भर बैठे रहे थाने के गेट के बाहर
अस्पताल से परिजन खून से लथपथ बच्ची को लेकर महिला थाने पर आई सुबह के तकरीबन 3:00 बजे लेकिन महिला पुलिस थाने का गेट बंद था जिसके कारण वह रात भर महिला थाने के बाहर बैठे रहे लेकिन महिला थाना से किसी ने उनकी सुध लेने की कोशिश भी नहीं की। इस दौरान इलाज के अभाव में बच्ची की स्थिति बिगड़ती रही।
शाम छह बजे के बाद महिला थाना में नहीं होता काम
बिहार पुलिस 24 घंटे अपने काम के प्रति तत्पर रहते हैं लेकिन यह समस्तीपुर का महिला थाना जहां 6:00 बजे के बाद यहां कोई काम नहीं होता है। अगर कोई काम कराना भी होगा तो अगले दिन सुबह 10:00 बजे का इंतजार करना होगा। बताया गया कि यहां की थानेदार ज्यादातर गायब रहती हैं, जब यहां काम करनेवाली महिला सिपाहियों से जानकारी मांगी गई तो बताया गया कि वह 10:00 बजे आती है जब तक आएगी नहीं तब तक उसका इलाज नहीं होगा। अब जब महिला थाने की यह हालत होगी तो बेटियों को इंसाफ कैसे मिलेगा यह समझा जा सकता है।