DESK: देशभर में 19 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन सभी बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधेंगी। लेकिन रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल को लेकर शुरु से ही संसय रहता है। दरअसल, भद्राकाल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है, इस कारण किसी भी मांगलिक काम को करने से पहले भद्राकाल जरुर देखा जाता है। भद्राकाल मांगलिक कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है, लेकिन इस बार रक्षाबंधन में भद्रा काल में राखी बांधना अशुभ नहीं माना जाएगा। ऐसा हम क्यों कह रहे हैं आइए जानते हैं-...
सुबह 5.32 से दोपहर 1.31 बजे तक रहेगा भद्रा काल
जैसा की हमने बताया कि इस बार रक्षाबंधन 19 अगस्त यानी सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन सुबह 5 बजकर 32 मिनट पर भद्राकाल आरंभ हो जाएगा और 1 बजकर 31 मिनट तक भद्रा रहने वाली है। लेकिन, इस दिन सुबह से भद्रा होने पर भी भद्रा अशुभ फल नहीं देंगी। दरअसल, भद्रा का वास अलग अलग लोकों में होने पर वह अलग अलग प्रभाव डालती है।
किसे कहते हैं भद्रा
दरअसल, हिंदू पंचांग के पांच प्रमुख अंग होते हैं, पहला तिथि, फिर नक्षत्र, वार, योग और करण। इसमें भी करण को तिथि का आधा भाग माना जाता है। करण कुल 11 होते हैं। इसमें से 7 स्थिर चर होते हैं और 4 करण स्थिर होते हैं। 7वें कर करण का नाम ही वष्टि या भद्रा है। भद्रा का विचार इन 4 स्थिति पर होता हैं। पहला स्वर्ग या पाताल में भद्रा का वास, प्रतिकूल काल वाली भद्रा हो, दिनार्द्ध के अंतर वाली भद्रा, भद्रा का पुच्छ काल। वहीं भद्रा के शुभ अशुभ परिणाम का पता लगाने के लिए इन सभी का विचार किया जाता है।
चंद्रमा के गोचर से पता चलता है कहां है भद्रा का साया
भद्रा का वास कब कहां होगा इसका पता चंद्रमा के गोचर से चलता है। जब भद्राकाल के दौरान चंद्रमा मेष, वृषभ, मिथुन और वृश्चिक राशि में होते हैं तो उस समय भद्रा का वास स्वर्ग में माना जाता है। वहीं, जिस समय चंद्रमा कन्या, तुला, धनु और मकर राशियों में हो तो भद्रा पाताल में वास करती है। जिस समय चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ और मीन राशि में होते हैं तो उस समय भद्रा का वास मृत्यु लोक यानी धरती पर होता है। भद्रा जिस लोक में होती है वहां पर ही अशुभ परिणाम देती हैं।
पाताल लोक में रहेगा भद्रा का साया
धरती पर भद्रा का होने दोषकारक माना गया है। लेकिन जब भद्रा का स्वर्ग और पाताल में होना धरती लोक के लिए शुभ रहती है। इसलिए भद्राकाल का समय जब भी चंद्रमा मेष, वृष, मिथुन, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु और मकर राशि में हो तो भद्रा स्वर्ग या पाताल में वासी करेगी और ऐसे होना मांगलिक कार्यों के लिए शुभ है। साथ ही भद्रा पुच्छ में भी शुभ कार्य किए जा सकते हैं। जो अलग-अलग तिथियों में अलग तरह से निर्धारित किए जाते हैं।
सुबह से बांध सकेंगे राखी
19 अगस्त को भी सुबह 5 बजकर 32 मिनट पर भद्राकाल आरंभ हो जाएगा, वहीं 1 बजकर 31 मिनट तक भद्रा का साया रहेगा। लेकिन आप इस बार भद्रा काल में भी राखी बांध सकते हैं। चुकी भद्रा काल इस बार पाताल लोक में होगा इस कारण धरती लोक में इसका अशुभ प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस दिन सुबह से ही राखी बांधी जा सकेगी।