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कवि कोकिल विद्यापति के निर्वाण दिवस पर तीन दिवसीय विद्यापति पर्व शुरु, मिथिला के पारंपरिक परिधान में भव्य शोभायात्रा

कवि कोकिल विद्यापति के निर्वाण दिवस पर  तीन दिवसीय विद्यापति पर्व शुरु, मिथिला के पारंपरिक परिधान में भव्य शोभायात्रा

दरभंगा बिहार सरकार द्वारा राजकीय पर्व के रूप में घोषित कवि कोकिल विद्यापति के निर्वाण दिवस कार्तिक धवल त्रयोदशी पर होने वाले तीन दिवसीय मिथिला विभूति पर्व समारोह का शुभारंभ शनिवार 25 नवंबर को सुबह 10 बजे विद्यापति चौक स्थित महाकवि कोकिल विद्यापति की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुआ. तीन दिवसीय विद्यापति पर्व समारोह के उद्घाटन करते हुए सांसद गोपाल जी ठाकुर ने कहा कि विद्यापति महान साहित्यकार थे। उनकी साहित्य को जिंदा रखने का कार्य विद्यापति सेवा संस्थान कर रही है। साथ रही संस्थान मिथिला-मैथिली को भी जिंदा रखने का कार्य कर रही है। एक मात्र व्यक्ति विद्यापति हैं जिनका सम्मान सिर्फ मिथिलावासी ही नहीं पूरा देश और विश्व‌ के लोग करते हैं। उन्होंने कहा कि पंडित ताराकांत झा के सद्प्रयास से पूर्व की सरकार द्वारा विद्यापति के अवसान दिवस को राजकीय समारोह के रूप में मनाया जाने के निर्णय के इतर अन्य लोगों के साथ विद्यापति की जयंती मनाई जाने के निर्णय की वे घोर भर्त्सना करते हैं। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत हास्यास्पद है कि सरकार और उनके स्मार्ट नुमाइंदों को यह भी जानकारी नहीं है कि कार्तिक धवल त्रयोदशी को विद्यापति का अवसान हुआ था और वे इस तिथि को उनकी जयंती के रूप में विज्ञापित कर रहा है। उन्होंने कहा कि बाबा विद्यापति का अपमान सिर्फ मिथिला ही नहीं पूरे भारतवर्ष का अपमान है और इसका  हर कदम पर विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसी तरह मिथिला के मखान को लेकर भी राज्य सरकार बार-बार राजनीतिक साजिश रच रही है इसका भी जल्द ही एकजुट होकर पर्दाफाश किया जाएगा।

नगर विधायक संजय सरावगी ने कहा कि मिथिला के विकास में सभी मिथिलावासियों का अहम योगदान रहा है, लेकिन बैद्यनाथ चौधरी बैजू के योगदान की तुलना किसी से नहीं की जा सकती है। विद्यापति की कृति को कोई भी दुनिया भर में भूल नहीं सकता है। मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए पृथक मिथिला राज्य का गठन जरूरी है और इसके लिए एकजुट होकर जोर लगाने की जरूरत है।  

पूर्व सांसद कीर्ति आजाद ने कहा कि देश भर में मिथिला की सांस्कृतिक ललक जगाने में बैद्यनाथ चौधरी बैजू का अहम योगदान रहा है। मखान मिथिला की आर्थिक उन्नति का माध्यम बनेगा।  निश्चित रूप से मिथिला राज्य भी बनेगा, जब मैथिली संविधान की अष्टम अनुसूची में शामिल हो गई है तो एक दिन यह भी दिन आएगा। लेकिन इसके लिए एकता और एकजुटता अहम है। मिथिला राज्य के आंदोलन में मेरा पूरा सहयोग है। मिथिला की समस्याओं के निदान का एकमात्र रास्ता मिथिला राज्य का निर्माण ही है। 

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि आज पूरी दुनिया में विद्यापति के नाम पर कार्यक्रम हो रहे हैं और सभी मिथिलावासी एक जगह एकत्रित होते हैं। विद्यापति मिथिलावासियों को एकसूत्र में बांधने का कार्य किए हैं। उन्होंने कहा कि यह उनके लिए अत्यंत गौरवशाली है कि लगातार चौथी बार उन्हें लगातार चौथी बार विद्यापति के अवसान दिवस पर आयोजित समारोह के मंच पर उपस्थित होने का मौका मिला है । उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि माँ श्यामा, मां जानकी और बाबा विद्यापति की कृपा से मिथिला विश्वविद्यालय के नैक मूल्यांकन में अच्छा ग्रेड प्राप्त होगा और यह मिथिला के लिए एक गौरवशाली उपलब्धि होगी।

कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शशिनाथ झा ने कहा कि मिथिला विद्यापति के कारण भारत की सांस्कृतिक विरासत और मानवीय मूल्यों के संवाहक के रूप में कार्य करती रही है। भारत के उत्ष्कृटता में भी मिथिला का अहम योगदान है। मैथिलीवासी अभी भी अपनी भाषा को जिंदा रखे हुए हैं। मिथिला भाषा उड़ीया और बंगला को भी अपना योगदान है। आज राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी का खमियाजा मिथिला झेल रही है। आज मिथिला क्षेत्र सबसे गरीबी का दंश झेल रहा है। केवल मखाना में एक करोड़ लोगों को रोजगार देने की क्षमता है।    

अध्यक्षता करते हुए एमएलएसएम कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉक्टर शंभू कुमार यादव ने कहा कि लोगों के सहयोग के कारण ही विद्यापति पर्व समारोह लगातार 51 वर्षों से आयोजित हो रही है। इसके लिए सभी मिथिलावासी बधाई के पात्र हैं। इससे पहले अतिथियों का स्वागत करते हुए विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने मिथिला और मैथिली की यथा स्थिति की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा यह अत्यंत खेद का विषय है कि मैथिली को भले ही संवैधानिक भाषा का दर्जा मिल गया है लेकिन वह राजनीतिक उपेक्षा का शिकार होकर अभी भी अपने अधिकार से  वंचित है। 

शनिवार को कुल 22 लोगों को मिथिला विभूति सम्मानोपाधि प्रदानकिया गया।  शनिवार को सम्मानित होने वाले लोगों में विशिष्ट लोगों में संस्कृत साहित्य के क्षेत्र विशिष्ट योगदान देने वाले डॉ सुरेश्वर झा, डा हरिहरराम त्रिपाठी, मैथिली साहित्य में डॉ श्रीपति सिंह, लक्ष्मण झा सागर, तारानंद दास, कला क्षेत्र में जयप्रकाश नारायण पाठक व  विक्रम बिहारी,  मिथिला चित्रकला क्षेत्र में हेमा देवी, शिक्षा क्षेत्र में डॉ हरि नारायण ठाकुर, पुष्पा कुमारी, सुमन कुमार ठाकुर एवं पूर्णेन्दु नाथ झा, समाज सेवा के क्षेत्र में विनीत कुमार झा,  मदन यादव, रविंद्र कुमार झा, सैन्य सेवा के क्षेत्र में अभिषेक चंद्र झा सैनिक, प्रशासनिक क्षेत्र में दरभंगा के पूर्व डीडीसी विवेकानंद झा, संस्थागत सम्मान शाश्वत मिथिला, अहमदाबाद, चिकित्सा क्षेत्र में डॉ दिलीप कुमार झा डॉ संजय कुमार झा एवं डा राजेश्वर दुबे को मिथिला विभूति सम्मानोपाधि प्रदान की गई। कार्यक्रम की शुरुआत से पूर्व स्थानीय कलाकारों ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। शुरू में सभी अतिथियों का स्वागत मिथिला की परंपरा के अनुसार किया गया। मंच संचालन पंडित कमलाकांत झा एवं मणिकांत झा ने मिलकर किया। कार्यक्रम में हजारों की संख्या में दर्शक मौजूद थे।

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