RANCHI : एक बाघिन ने अपने ही चार शावकों को मार डाला। मामला झारखंड के रांची से लगभग 15 किमी दूर बिरसा जैविक उद्यान की है। जहां बाघिन गौरी अपने ही चार बच्चों पर लेट गई, जिसके नीचे दबने से चारों शावकों का दम घुट गया और उनकी मौत हो गई।
10 मई को दिया था जन्म
गौरी को छह साल पहले छत्तीसगढ़ से झारखंड लाया गया था। बीते 10 मई को पूरे 105 दिन के गर्भावस्था के पीरियड को पूरा करने के बाद गौरी ने पहली बार शावकों को जन्म दिया था। 11 मई की रात बाघिन अपने बच्चों पर ही लेट गई, जिस वजह से दम घुटने से मौत हो गई। जब जानकारी मिली तो एक बच्चे को निकाला गया। उसे दूध पिलाने की कोशिश की गई, लेकिन इंटरनल हेंम्रेजेज होने की वजह से मौत हो गई।
शावकों के जन्म को लेकर लगातार मॉनिटरिंग
बाघिन गौरी के प्रसव होने की जानकारी प्रबंधन को थी। इसके बाद से जिस केज में वह थी, वहां लगाए गए CCTV कैमरे से मॉनिटरिंग भी की जा रही थी। बिरसा जैविक उद्यान प्रबंधन की मानें तो जन्म के बाद सभी नवजात मां के काफी करीब आ गए। जब मां ने करवट बदली तो सभी शावक उसके नीचे दब गए।
एक शावक की चल रही थी सांसें
जब प्रबंधन को इस बात का पता चला तो वहां के कर्मी केज के भीतर जाकर देखा। बाघिन को बच्चों से दूर हटाया गया। तीन शावकों की वहीं मौत हो चुकी थी, जबकि एक शावक की सांस चल रही थी, लेकिन उसे भी जब तक संभाला जाता तब तक चौथे ने भी दम तोड़ दिया। पोस्टमॉर्टम के बाद 12 मई को जू के भीतर बने दाहगृह में शवों को जलाया गया। सूत्रों की मानें तो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दम घुटने से मौत होने की बात सामने आई है।
बिरसा जू के चिकित्सक डॉ. ओपी साहू ने बताया कि सभी बच्चे सामान्य और स्वस्थ थे। एक बच्चे का वजन एक किलो था, जबकि अन्य तीन का वजन 900 से 950 ग्राम के बीच था। उन्होंने बताया कि 11 मई के पूरे दिन तक सब सामान्य था। चूंकि बाघ के बच्चे की आंख जन्म के 15वें दिन खुलती है। ऐसे में इन दिनों तक मां खुद केयर करती है। वह खुद ही दूध पिलाती है।
फिलवक्त बिरसा जू में छह बाघिन हैं, जिसमें गौरी सहित अनुष्का, लक्ष्मी, कावेरी, कृष्णा और ताप्शी हैं। जबकि दो बाघ भी हैं। उनका नाम जावा और मलिक है।