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अब तक 141... सांसदों के सस्पेंशन के टूट गए सभी रिकॉर्ड, निलंबित सांसदों को पार्लियमेंट चैंबर, लॉबी में भी नहीं मिलेगा प्रवेश, जारी हुआ सर्कुलर

अब तक 141... सांसदों के सस्पेंशन के टूट गए सभी रिकॉर्ड, निलंबित सांसदों को पार्लियमेंट चैंबर, लॉबी में भी नहीं मिलेगा प्रवेश, जारी हुआ सर्कुलर

DELHI- संसद के शीतकालीन सत्र में सोमवार को लोकसभा और राज्यसभा से कुल 78 सांसद को निलंबित कर दिया गया.  राज्यसभा से 45 और लोकसभा से 33 सांसदों को निलंबित किया गया.  इन सांसदों में से विपक्ष के 46 सांसदों को पूरे सेशन के लिए निलंबित किया गया है. इससे पहले राज्यसभा से एक और लोकसभा से 13 विपक्षी सांसदों को निलंबित किया गया था. इस तरह अब तक सत्र में 141 सांसदों को सस्पेंड किया जा चुका है.इस बार सांसदों के निलंबन का रिकॉर्ड बन गया है. इसमें से लोकसभा के 95 और राज्यसभा के 46 सांसद शामिल हैं. वहीं, लोकसभा सचिवालय की तरफ से निलंबित सांसदों के लिए एक सर्कुलर जारी हुआ है. इसमें निलंबित सांसदों को पार्लियमेंट चैंबर, लॉबी और गैलरी में एंट्री करने से मना किया गया है. 

लोकसभा सर्कुलर में लिखा गया, 'निलंबन के बाद निलंबन की अवधि के दौरान निम्नलिखित नतीजों का सामना करना पड़ेगा. वे (निलंबित सांसद) पार्लियमेंट चैंबर्स, लॉबी और गैलरी में एंट्री नहीं कर सकते हैं. अगर निलंबित सांसद किसी संसदीय समिति का हिस्सा थे, तो उन्हें उससे भी निलंबित माना जाएगा. उनके नाम पर संसद में किसी भी तरह का काम नहीं किया जाएगा. उनके जरिए दिए गए नोटिस पर स्वीकार नहीं किया जाएगा.'सर्कुलर में आगे कहा गया, 'निलंबन की अवधि के दौरान होने वाली समितियों के चुनाव में उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं है. अगर उन्हें बचे हुए सत्र के लिए भी सदन से निलंबित कर दिया जाता है, तो उन्हें दैनिक भत्ता नहीं दिया जा सकता है. ड्यूटी के स्थान पर सांसदों का रहना सैलरी के सेक्शन 2 (डी) के तहत ड्यूटी पर निवास के तौर पर नहीं माना जा सकता है. संसद सदस्यों के भत्ते और पेंशन अधिनियम, 1954, समय-समय पर संशोधित होते रहते हैं.'

यह पहली बार नहीं है जब सांसदों को इतनी बड़ी संख्या में निलंबित किया गया है. इससे पहले 1989 में संसद से 63 सांसदों को सस्पेंड किया गया था.उस समय सदन में ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट पर हंगामा हुआ था।.केंद्र में राजीव गांधी की सरकार थी, उस समय तीन दिन के दौरान लोकसभा से 63 सांसदों को सस्पेंड किया गया था.बता दें  सांसदों के निलंबन की पहली घटना 1963 में हुई थी. साल1966 में, दो सांसदों को राज्यसभा से निलंबित किया गया था. स्वतंत्रता सेनानी राज नारायण और पूर्व डिप्टी स्पीकर गोडे मुराहारी उन प्रमुख नेताओं में शामिल थे, जिन्हें राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था. अप्रैल, 2012 में, आठ सदस्यों को लोक सभा से चार दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया था. अगस्त, 2013 में, 12 सदस्यों को निलंबित कर दिया गया था. वहीं, सितंबर 2014 में, नौ सदस्यों को पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया था.


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