DESK : एक तरफ इलेक्टोरल बांड को लेकर तमाम विपक्षी पार्टियां भाजपा को घेरने में लगी है और इसे अब तक का सबसे बड़ी घोटाला बताया है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा के बाद सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बांड हासिल करनेवाली ममता बनर्जी की तृणमुल कांग्रेस ने अजीबोगरीब बयान दिया है।
पश्चिम बंगाल में दस साल से भी ज्यादा समय से सत्ता पर काबिज टीएमसी ने दावा किया कि अज्ञात व्यक्तियों ने कोलकाता में उनके संबंधित कार्यालयों में सीलबंद लिफाफे छोड़ दिए. इस वजह से उन्हें डोनेशन देने वालों का नाम और पता नहीं मालूम पड़ पाए। टीएमसी ने उन दानदाताओं की पहचान का खुलासा नहीं किया, जिन्होंने 16 जुलाई, 2018 और 22 मई, 2019 के बीच चुनावी बांड के जरिए सामूहिक रूप से लगभग 75 करोड़ रुपये का योगदान दिया।
नहीं कर सकते पहचान
टीएमसी ने 27 मई, 2019 को चुनाव आयोग को दिए अपने आवेदन में कहा कि इनमें से अधिकांश बॉन्ड गुमनाम रूप से उनके कार्यालय में भेजे गए थे. या तो ड्रॉप बॉक्स में डाला गए या कोई ऑफिस में ऐसे ही छोड़ गया, जिससे उनके लिए खरीददारों के नाम और विवरण सुनिश्चित करना असंभव हो गया है.
बताया कैसे कर सकते हैं बॉन्ड देने वालों की पहचान
टीएमसी ने सुझाव दिया कि भारतीय स्टेट बैंक की ओर से जारी चुनावी बॉन्डों को दिए गए खास नंबरों का इस्तेमाल करके पहचान की जा सकती है। पार्टी ने संकेत दिया कि इन बॉन्डों के एकमात्र जारीकर्ता के रूप में एसबीआई के पास बॉन्डधारकों के सभी जरूरी विवरण हैं, जिनमें उनके केवाईसी दस्तावेज, पैन कार्ड, पहचान प्रमाण, एड्रेस प्रूफ और बैंक की आवश्यकताओं के अनुसार अन्य सहायक दस्तावेज भी शामिल हैं।
बता दें तृणमूल कांग्रेस को पास भाजपा के बाद सबसे अधिक इलेक्टोरल बांड मिले। यह बांड लगभग 17 सौ करोड़ रुपए के आसपास बताई जा रही है।