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खुदा की इबादत के लिए उम्र नहीं हौसले की दरकार, पटना में पांच साल के बच्चे ने रोजा रखकर पेश की मिसाल

खुदा की इबादत के लिए उम्र नहीं हौसले की दरकार, पटना में पांच साल के बच्चे ने रोजा रखकर पेश की मिसाल

पटना. खुदा की इबादत के लिए उम्र नहीं हौसले की दरकार होती है. रमजान के पाक मौके पर ऐसा ही हौसला दिखाया है पटना के पांच वर्षीय मोहम्मद आतिफ रज़ा ने. नन्हे रोज़ेदार ने रमजान के पहले दिन ही रोजा रखकर इबादत की अनुकरणीय मिसाल पेश की है. मोहम्मद आतिफ रज़ा पटना निवासी मोहम्मद आदिल साहब के बेटे हैं. सिर्फ पांच साल की उम्र में ही आतिफ रज़ा ने रोजा रखा है. रमज़ान मुबारक पर पहला रोज़ा रखने वाले मोहम्मद आतिफ रज़ा ने कहा कि वह स्वप्रेरणा से रोजा रखे हैं. 

आतिफ रज़ा से पूछा गया कि आपने इतनी कम उम्र में रोज़ा रखा तो उन्होंने कहा कि रोज़ा इसलिए रखते हैं  ताकि हम भी उन गरीबों की परेशानी महसूस करें जिन्हें एक वक़्त का खाना भी नसीब नहीं होता. उनका अहसास करते हैं और जो भूखे सोते हैं. उन्होंने कहा कि रोज़ा रख कर उन मुसलमानो को ये बताना चाहता हूं जो लोग रोज़ा नही रखते हैं कि जब मैं सिर्फ 5 वर्ष का होकर रख सकता हूँ तो आप भी रख सकते हैं और अल्लाह को राज़ी कर सकते हैं. रोज़ा हर मुसलमान पर फर्ज़ हैं। 

रोज़ा रखने से जिस्म की बहुत सारी बीमारियों से निजात मिलती है। रोज़ेदार गुनाहों से बचते हैं. इस महीने में रोज़ेदार को तरह तरह की नेमतें खाने को मिलती है। ये महीना रात दिन अल्लाह की इबादत करने का महीना है. इस महीने में रोज़ेदार मोत्तक़ी और परहेज़गार बन जाते हैं. ये महीना आपको साल भर ज़िंदगी किस तरह गुज़ारनी है नमाज़ क़ुरआन की आदत डालना और ग़रीबों की मदद करने का आदि बनाता है। इस महीने में रमज़ान की रौनक़ देखने को मिलती है बाजार सज जाते हैं।

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