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शाह-नड्डा के सामने 'बीस-सूत्री' प्लान ! BJP शीर्ष नेतृत्व के समक्ष उठा मसला...हजारों राजनैतिक कार्यकर्ताओं के 'सेट' होने की बढ़ी संभावना

शाह-नड्डा के सामने 'बीस-सूत्री' प्लान ! BJP शीर्ष नेतृत्व के समक्ष उठा मसला...हजारों राजनैतिक कार्यकर्ताओं के 'सेट' होने की बढ़ी संभावना

पटनाः बिहार में अब पूरी तरह से साफ हो गया कि बीजेपी खुद जेडीयू से रिश्ता नहीं तोड़ेगी। यानी भाजपा के सहयोग से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहेंगे। भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने पटना में ऐलान किया है कि सहयोगी दल जेडीयू को साथ लेकर 2024-25 का चुनाव लड़ेंगे। अमित शाह और जेपी नड्डा के रूख से बिहार भाजपा के नेताओं के मन भी जो भ्रम की स्थिति थी वो दूर हो गई। अमित शाह और जेपी नड्डा के सामने भाजपा के विधायकों ने कई तरह के सवाल उठाये. एक सवाल बीस-सूत्री के गठन का था। शीर्ष नेतृत्व के सामने यह मांग रखी गई कि अगर बिहार के नाराज कार्यकर्ताओं में जोश भरना है तो बीस-सूत्री का गठन करना होगा। ऐसा करने से हम अधिक से अधिक कार्यकर्ताओं को सम्मान दे सकते हैं। नेतृत्व ने बीजेपी विधायकों की कुछ मांग को जायज माना है। शीर्ष नेतृत्व के समक्ष कार्यकर्ताओं को सेट करने का बीस-सूत्री प्लान उठने के बाद अब संभावना जगी है। संभावना इस बात की है कि भाजपा बीस-सूत्री को लेकर सीएम नीतीश कुमार से बात करेगी. 

नड्डा-शाह के सामने उठी मांग 

पटना के प्रदेश कार्यालय में अमित शाह और जेपी नड्डा के क्लास में बीजेपी विधायकों ने अपनी समस्या रखी। कई विधायकों ने नेतृत्व के सामने यह बात रखी कि सूबे में अपनी सरकार है। नई सरकार के गठन के लगभग दो साल बीतने को हैं। लेकिन अब तक बीस-सूत्री कार्यक्रम समिति का गठन नहीं हो सका है। नीतीश कुमार के साथ 2017 में हमलोग फिर से साथ आये। तब से ही बीस-सूत्री कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति का गठन लंबित है। सरकार अगर बीस सूत्री का गठन करे तो करीब डेढ़ हजार कार्यकर्ता एडजस्ट हो सकते हैं। पूरे बिहार के कार्यकर्ताओं की यह शिकायत होती है। नेतृत्व के सामने विधायक ने कहा कि कार्यकर्ताओं की मिहनत से हमलोग विधायक बनते हैं, लेकिन उन्हें बीस-सूत्री में भी जगह नहीं मिल रही। पार्टी के विधायकों की शिकायत पर शीर्ष नेतृत्व ने संज्ञान लिया है। बताया जाता है कि इस संबंध में  अमित शाह ने संगठन महामंत्री को निदेश दिया।

कार्यकर्ताओं की आस होगी पूरी? 

बिहार में 2015 में महागठबंधन की सरकार बनी थी। 2017 में राजद से अलग होकर सीएम नीतीश ने बीजेपी के साथ एक बार फिर से हाथ मिलाया था। तब से दोनों दल के नेताओं की यह मांग रही है कि कार्यकर्ताओं को बीस-सूत्री,बोर्ड-निगम और आयोग में जगह मिले। लेकिन पांच सालों में ऐसा नहीं हुआ। भाजपा की तरफ से कई दफे मांग भी उठाई गई। लेकिन,कई राजनीतिक वजहों से यह संभव नहीं हो सका। इस वजह से राजनैतिक कार्यकर्ताओं में असंतोष भी पनपा। बीजेपी के सीर्ष नेतृत्व के समक्ष मामला उठने पर अब संभावना है कि प्रखंड से लेकर जिला लेवल और राज्य स्तर पर कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति गठित हो। 

राज्य स्तर पर बीस सूत्री के अध्यक्ष होते हैं मुख्यमंत्री 

बता दें, राज्य स्तर पर इस समिति के अध्यक्ष खुद मुख्यमंत्री होते हैं। वहीं एक या दो उपाध्यक्ष बनाये जाते हैं. राज्य स्तरीय कमिटी के उपाध्यक्ष को राज्य मंत्री का दर्जा होता है। वहीं जिला लेवल कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति के अध्यक्ष प्रभारी मंत्री होते हैं। पिछली दफे जिला स्तरीय समिति में दो उपाध्यक्ष बनाये गये थे। एक बीजेपी से और दूसरा जेडीयू से। जिला स्तरीय समिति में 25 मेंबर होते हैं।  वहीं प्रखंड लेवल पर बनने वाली समिति में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की कुर्सी किसी राजनैतिक कार्यकर्ता को ही दी जाती है। इस तरह से करीब 1500 से अधिक कार्यकर्ताओं को सेट किया जा सकता है। 

बोर्ड-निगम-आयोग में सैकड़ों पद खाली

बता दें, बिहार में आयोग में अध्यक्ष और मेंबर होते हैं। कई आयोग लंबे समय से खाली है। वहां न तो अध्यक्ष है और न ही मेंबर । लिहाजा कामकाज भी बाधित हो रहा है। बिहार महिला आयोग इसका उदाहरण है जहां अध्यक्ष व सदस्य का कार्यकाल काफी पहले समाप्त हो गया लेकिन आज तक नई नियुक्ति नहीं हुई है।इसी तरह पिछड़ा-अतिपिछड़ा आयोग,अनुसूचित जाति आयोग, महादलित आयोग, बाल श्रमिक आयोग,संस्कृत शिक्षा बोर्ड समेत कई अन्य आयोग है जो खाली है। कई बोर्ड-निगम ऐसे हैं जहां सरकार ने अध्यक्ष व सीईओ के पद पर प्रशासनिक अधिकारी की तैनाती कर रखी है। अध्यक्ष अगर आईएएस अफसर हैं तो सदस्य के तौर पर राजनैतिक कार्यकर्ताओं को जगह मिल सकती है। अब तक कई दफे यह चर्चा हो चुकी है कि बिहार में जल्द बीस-सूत्री कार्यक्रम कार्यान्वन समिति का गठन होगा और वहां राजनीतिक कार्यकर्ताओं को एडजस्ट किया जायेगा। लेकिन नई सरकार के गठन के इतने दिन बाद भी यह काम नहीं हो सका है। अब देखना होगा कि बीजेपी राष्ट्रीय नेतृत्व के समक्ष यह मसला उठने के बाद आगे क्या कुछ हो पाता है...। 

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