उपेंद्र कुशवाहा को मिला एनडीए की ओर से बैठक में शामिल होने का निमंत्रण, आखिर क्या हैं इसके मायने ? पढ़िए पूरी खबर

PATNA: आगामी वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर सभी दल और गठबंधन ने अपनी- अपनी कमर कसनी शुरू कर दी है। इसके तहत देश की लगभग सभी विपक्षी पार्टियां बेंगलुरु में सोमवार को जुट रही हैं तो मंगलवार को भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए की सर्वदलीय बैठक दिल्ली में प्रस्तावित है। दिल्ली में होने वाली एनडीए की बैठक के लिए सहयोगी दलों के नेताओं को पत्र लिखे जाने लगे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के लोजपा सांसद चिराग पासवान को लिखे पत्र के बाद उनकी एनडीए में वापसी तय हो गई है। साथ ही हाल में एनडीए में आए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी एनडीए की बैठक के हिस्सा होंगे।

वहीं हाल ही में भाजपा से जुड़े पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए की ओर से बैठक में शामिल होने का न्योता मिला है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार भाजपा उपेंद्र कुशवाहा, सम्राट चौधरी और नागमणि को साथ लाकर कुशवाहा मतदाताओं को अपने पक्ष में करने का प्रयास है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए यही वोटबैंक उनकी राजनीति को ऊंचाई दिया करता है। तो यदा कदा लालू प्रसाद के लिए चुनावी जीत के जिन्न का भी काम करता रहा है। उपेंद्र कुशवाहा की अप्रैल माह में केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं को बताया था कि तीन सीटों को लेकर उनकी बात हो चुकी है। इस बीच बिहार में कुशवाहा वोटरों को साधने के लिए भाजपा ने राज्य का प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को बना दिया। सम्राट चौधरी खुद कुशवाहा जाति के हैं। राजनीतिक गलियारे में चर्चा चल पड़ी है कि राज्य के कुशवाहा वोटरों को एकजुट करने की जिम्मेदारी पार्टी सामूहिक रूप से अपने प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी और उपेंद्र कुशवाहा को सौंप देगी।

बिहार में विपक्षी एकता की मुहिम को लोकसभा चुनाव में कुंद करने और नीतीश कुमार के पारंपरिक लव कुश समीकरण को ध्वस्त करने के लिए भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन ने यह फैसला किया है।  बताते चलें कि काराकाट (बिक्रमगंज) संसदीय क्षेत्र एनडीए की पारंपरिक सीट रही है। काराकाट संसदीय क्षेत्र से उपेंद्र कुशवाहा ने 2014 में लोकसभा चुनाव जीती थी। वहीं महागठबंधन का हिस्सा बनकर जब वो 2019 में यहां से चुनाव लडे तो मुंह की खानी पड़ी थी। उपेंद्र कुशवाहा ने शाह से मुलाकात अप्रैल में की और औपचारिक रूप से एनडीए में शामिल हुए।

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जाहिर है उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए की होने वाली मीटिंग में न्योता मिलने का बड़ा कारण बिहार में लवकुश समीकरण को मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। साथ ही भाजपा अपनी पारंपरिक और सुरक्षित समझी जाने वाली सीटों को अपने गठबंधन के सहयोगियों के माध्यम से बचाए रखना चाहती है।