भारत की अध्यक्षता में होने जा रहे 18वें जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन यूएस के एंड्रयू एयर बेस से रवाना हो गए हैं और शुक्रवार शाम को वह भारत पहुंचेंगे. शिखर सम्मेलन से पहले एक ब्रीफिंग में व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडन जी 20 में शामिल होने जा रहे हैं. वह बड़ी चीजों को एक साथ लाने के लिए उभरते बाजार और भागीदारों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है कि दुनिया नई दिल्ली में यही देखेगी.बाइडेन ने गुरुवार को भारत के लिए उड़ान भरी. जो बाइडेन का भारत दौरा इसलिए भी खास है, क्योंकि सिर्फ वो जी-20 शिखर सम्मेलन में ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खास बैठक भी करने वाले हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में ये उनकी यह पहली भारत यात्रा है. जो बाइडेन से पहले भारत का दौरा करने वाले आखिरी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प थे, जो फरवरी 2020 में आए थे.
बता दें भारत के लिए रवाना होने से एक घंटे से पहले राष्ट्रपति का एक और कोविड टेस्ट नेगेटिव आया था. अमेरिका की प्रथम महिला हाल ही में कोरोना संक्रमित पाईं गई थी. हालांकि उनकी भी रिपोर्ट निगेटिव आई. व्हाइट हाउस ने बताया कि अमेरिका से रवाना होने के बाद बाइडन शुक्रवार को जर्मनी के रैमस्टीन में रुकेंगे. शाम को नई दिल्ली पहुंचेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे. शनिवार को स्वागत के औपचारिक कार्यक्रम के बाद जी-20 के पहले सत्र वन अर्थ और अगले सत्र वन फैमिली में भी बाइडन मौजूद रहेंगे.
अमेरिका के राष्ट्रपति चीन और रूस के नेताओं की गैरमौजूदगी के बीच अमेरिका के प्रभाव को बढ़ाने को लेकर पूरा लाभ लेने की कोशिश करेंगे. जो बाइडन भारत में हो रहे जी-20 सम्मेलन में यह दिखाने की कोशिश करेंगे कि बड़े अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर वाशिंगटन बीजिंग और मॉस्को से बेहतर भागीदार है.भारत की मेजबानी में जी-20 सम्मेलन की सफलता के लिए अमेरिका प्रतिबद्ध है. अमेरिका पीएम मोदी के नेतृत्व की सराहना करता है. जून के अमेरिकी दौरे में पीएम मोदी और राष्ट्रपति बाइडन ने साझी प्राथमिकताओं को पूरा करने का दृढ़ निश्चय दर्शाया था. बाइडन उन्हें आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं.
बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन भारत के बाद वियतनाम भी जाएंगे. वह जी-20 में हिस्सा लेने के बाद रविवार को वियतनाम जाएंगे. तेजी से मुखर हो रहे चीन को पीछे धकेलने के लिए अमेरिका और वियतनामके बीच संबंध मजबूत होने की उम्मीद जताई जा रही है.